आयोग ने अहमदाबाद में सांप्रदायिक दंगों की कुछ घटनाओं पर कहा, ‘पुलिस ने दंगों को नियंत्रित करने में सामर्थ्य, तत्परता नहीं दिखाई जो आवश्यक थी’ नानावती आयोग ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच या कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
2002 के गुजरात दंगे और उस पर की गई कार्रवाई पर न्यायमूर्ति नानावती-मेहता आयोग की रिपोर्ट का पहला हिस्सा 25 सितंबर, 2009 को विधानसभा में पेश किया गया था। यह आयोग गोधरा ट्रेन अग्निकांड और बाद में फैले सांप्रदायिक दंगों के कारणों की जांच के बनाया गया था। बुधवार को गुजरात विधानसभा में दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग की अंतिम रिपोर्ट रखी गई। गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने सदन में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि आयोग की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगे आरोप खारिज किए गए हैं। रिपोर्ट को तत्कालीन राज्य सरकार को सौंपे जाने के पांच साल बाद सदन के पटल पर रखा गया। नानावती-मेहता कमिशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी जलाए जाने के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा सुनियोजित नहीं थी। आयोग ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी है।
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