सत्यखबर, जींद
किसान अन्न दाता है, जब इनसे कुछ मांगा जाता है तो पीछे नहीं हटते। अबकी बार प्रदेश सरकार ने धान न उगाने का आग्रह किया तो किसान दिल खोलकर आगे आए हैं। धान की जगह मक्का, बाजरा, कपास, बागवानी, पल्सेस उगाने के लिए प्रदेश के 46244 किसानों ने निर्णय ले लिया है। इन किसानों ने बाकायदा मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत पोर्टल पर आवेदन किया है। करीब 50024 हेक्टेयर में अबकी बार धान का एरिया यकीनन घटेगा। यानी सवा लाख एकड़ में दूसरी फसल उगाने वाले इन किसानों को सरकार की ओर से प्रति एकड़ 7000 रुपए दिए जाएंगे। गौर करने वाली बात यह है कि इन किसानों में प्रदेश के आठ उन डार्क जोन के 6554 किसान भी शामिल हैं जहां धरती से पाताल की दूरी अधिक है। यहां पर किसान 16500 एकड़ जमीन पर अबकी बार धान नहीं उगाएंगे। समूचे हरियाणा को कृषि विभाग ने दो ग्रुपों में बांटा है, इसमें ग्रुप ए में सबसे कम पानी वाले आठ ब्लॉक और ग्रुप बी में समूचा हरियाणा शामिल है। धान छोड़कर दूसरी फसल उगाने वाले किसानों को सरकार करीब 87.50 करोड़ रुपए देगी। हालांकि सरकार ने 2.5 लाख एकड़ में धान छोड़ दूसरी फसल उगाने का निर्णय लिया है।
इन डार्क जोन में ये किसान आगे आए
आठ डार्क जोन ब्लॉकों में 6554 किसानों ने धान छोड़ने का निर्णय लिया है। ये किसान 6661 हेक्टेयर यानी 16500 एकड़ में धान की बजाए अबकी बार मक्का, कपास, बागवानी, पल्सेस, बाजरा आदि उगाएंगे। इन ब्लॉकों में बबैन, गुहला, ईस्माइलाबाद, पिपली, रतिया, शाहबाद, सिरसा, सीवन शामिल हैं।
कपास की ओर लौटे अधिक किसान
सरकार की पहल पर धान छोड़ने वाले 22258 किसानों ने धान छोड़कर 29141 हेक्टेयर में कपास उगाने का निर्णय लिया है। जबकि 8453 किसानों ने 7194 हेक्टेयर में मक्का, 8600 किसानों ने 8108 हेक्टेयर में बाजरा, 1092 किसानों ने 822 हेक्टेयर में पल्सेस, 5841 किसानों ने 4756 हेक्टेयर में बागवानी करने का निर्णय लिया है।
ऐसे बढ़ा धान का एरिया
सबसे अधिक पानी का दोहन धान उगाने में होता है। करीब एक किलोग्राम चावल उगाने में किसानों को 3500 लीटर पानी की खपत करनी पड़ती है। जहां प्रदेश में वर्ष 2014 में 12.77 लाख हेक्टेयर से 39.89 लाख टन धान उत्पादन हुआ, वहीं वर्ष 2015 में 13.53 लाख हेक्टेयर में 41.42 लाख टन, वर्ष 2016 में 13.86 लाख हेक्टेयर में 44.53 लाख टन, वर्ष 2017 में 14.22 लाख हेक्टेयर में 48.80 लाख टन उत्पादन हुआ, जबकि वर्ष 2018 में 14.47 लाख हेक्टेयर में 45.16 लाख टन धान का उत्पादन हुआ है।
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