सत्य खबर
भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले गये पहले आईसीसी विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मैच में बारिश और खराब रोशनी के खलल के बावजूद रिजर्व डे पर टेस्ट प्रारूप का पहला चैम्पियन मिल गया है। न्यूजीलैंड की टीम ने साउथैम्पटन के मैदान पर खेले गये इस ऐतिहासिक मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए विराट सेना को हर विभाग में बाहर करने का काम किया और 144 साल के टेस्ट क्रिकेट इतिहास की पहली चैम्पियन बन गई है।
न्यूजीलैंड की टीम के लिये यह उनकी दूसरी ही आईसीसी ट्रॉफी है जो उन्होंने 21 साल बाद जीतने का काम किया है। इससे पहले न्यूजीलैंड की टीम ने साल 2000 में खेली गई नॉकआउट ट्रॉफी के फाइनल में भारत को ही हराकर अपनी पहली आईसीसी ट्रॉफी जीतने का काम किया था तो वहीं पर साल 2003 के बाद भारत का आईसीसी टूर्नामेंट में कीवी टीम के खिलाफ लगातार हार का सिलसिला बरकरार है। उल्लेखनीय है कि भारतीय टीम ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 217 रनों का स्कोर खड़ा किया जिसके जवाब में कीवी टीम ने 249 रन बनाये और 32 रनों की बढ़त हासिल की। दूसरी पारी में भारतीय टीम 170 रनों पर ऑल आउट हो गई और कीवी टीम के सामने 53 ओवर्स में 139 रनों का लक्ष्य रखा।
कीवी टीम ने इस लक्ष्य को आसानी से 46 ओवर्स के अंदर हासिल कर विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप का पहला खिताब जीतने का काम किया। न्यूजीलैंड की टीम ने भारत को टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल मैच में 8 विकेट से हराने का काम किया। आइये एक नजर भारतीय टीम की तरफ से की गई उन 5 गलतियों पर डालते हैं जिसके चलते उसे हार का सामना करना पड़ा।
1. कोहली-पुजारा का फ्लॉप शो
भारतीय टेस्ट टीम की बल्लेबाजी में भारतीय कप्तान विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा को रीढ़ की हड्डी माना जाता है, हालांकि टेस्ट चैम्पियनशिप के इस मैच में इन दोनों ही खिलाड़ियों ने वो प्रदर्शन नहीं किया जिसकी टीम को दरकार थी। कोहली ने पहली पारी में भले ही 44 रनों का योगदान दिया लेकिन दूसरी पारी में वह सिर्फ 13 रन बनाकर वापस पवेलियन लौटे। वहीं चेतेश्वर पुजारा की बात करें तो उन्होंने पहली पारी में सिर्फ 8 रन तो दूसरी पारी में 15 रन बनाने का काम किया और वापस लौटे। ऐसे में जब आप टेस्ट क्रिकेट के सबसे बड़े मैच में खेलने उतरे हों तो एक पारी में गलती की उम्मीद की जा सकती है लेकिन दोनों पारियों में फ्लॉप होना टीम को भारी पड़ा।
2. टेलएंडर्स की बल्लेबाजी ने डाला फर्क
विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में भारत की हार की एक और बड़ी वजह रही दोनों टीमों के टेलएंडर्स की ओर से की गई बल्लेबाजी, जहां भारतीय टीम के टेलएंडर्स पूरी तरह फ्लॉप साबित हुए तो वहीं पर कीवी टीम के लिये टेलएंडर्स ने मैच बचाने का काम किया। पहली पारी में भारतीय टीम के लिये आखिरी 4 विकेट ने महज 34 रन जोड़ने का काम किया था तो वहीं पर दूसरी पारी में सिर्फ 28 रन ही जोड़ सके। वहीं कीवी टीम की बात करें तो उसके आखिरी के 4 बल्लेबाजों ने 87 रन जोड़ने का काम किया और मैच में वापसी कर रही भारतीय टीम को बैकफुट पर धकेल कर 32 रनों की अहम बढ़त हासिल की, जिसने नतीजे में काफी अहम रोल निभाया।
3. कीवी पेसर्स के मुकाबले फीके साबित हुए भारतीय गेंदबाज
दोनों टीमों के बीच उसके तेज गेंदबाजों की फॉर्म भी बड़ा फर्क करती नजर आयी। जहां कीवी टीम के तेज गेंदबाजों ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए भारत के 20 विकेट हासिल करने का काम किया तो वहीं पर भारतीय टीम के लिये जसप्रीत बुमराह पूरी तरह से बेअसर नजर आये और एक भी विकेट हासिल नहीं कर सके। वहीं पर मोहम्मद शमी ने भारत के लिये सबसे ज्यादा 4 विकेट लेने का काम किया जबकि ईशांत शर्मा सिर्फ 3 ही विकेट हासिल कर सके। ऐसे में जहां कीवी गेंदबाजों के सामने भारतीय बल्लेबाज संघर्ष करते नजर आ रहे थे तो वहीं पर भारतीय गेंदबाज कीवी बल्लेबाजों के खिलाफ वो असर डालने में नाकाम रहे।
4. दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजी में खराब एप्रोच–
भारतीय टीम के लिये हार की सबसे बड़ी वजह रही दूसरी पारी में बल्लेबाजी करते हुए उसकी खराब एप्रोच जिसके चलते उसने खुद को ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया जहां से उसकी हार तय हो गई। बारिश के चलते दो दिन धुल जाने के बाद भारतीय टीम 5वें दिन दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने के लिये उतरी, जिसके बाद ऐसा लग रहा था कि मानों अगर भारतीय बल्लेबाज रिजर्व डे पर लंच के आधे समय तक बल्लेबाजी कर लेते हैं तो 200 के आस-पास स्कोर बना लेंगे और कीवी टीम के सामने दो ही रिजल्ट रह जायेंगे, या तो हार या फिर ड्रॉ। हालांकि भारतीय टीम दूसरी पारी में बेहद खराब एप्रोच के साथ बल्लेबाजी करती नजर आई और रिजर्व डे पर लगातार खराब शॉट खेलकर अपना विकेट फेंकती नजर भी आई। पहले पुजारा, फिर पंत और अंत में अश्विन। इन खिलाड़ियों के खराब शॉट के चलते न सिर्फ भारतीय पारी 170 रन पर सिमटी बल्कि न्यूजीलैंड को 53 ओवर्स भी मिले जिसमें उसने आसानी से इस स्कोर को चेज कर जीत हासिल कर ली।
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5. भारत को खली तेज गेंदबाज ऑलराउंडर खिलाड़ी की कमी
भारतीय टीम ने इस मैच में 3 तेज गेंदबाज और 2 स्पिन ऑलराउंडर के कॉम्बिनेशन के साथ मैदान पर उतरने का फैसला किया जो कि इस प्रारूप में पहली बार देखने को मिला था। पहला दिन बारिश से धुल जाने के बाद जहां कई दिग्गज खिलाड़ियों ने एक अतिरिक्त तेज गेंदबाज खिलाने की बात कही थी तो वहीं पर भारतीय कप्तान विराट कोहली ने उसी प्लेइंग 11 के साथ जाने का फैसला किया। हालांकि विराट कोहली को उनका यह फैसला काफी महंगा पड़ा और मैच के दौरान उन्हें हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ी की काफी कमी महसूस हुई। इस मैच में विराट कोहली शार्दुल ठाकुर के साथ इस कमी को दूर कर सकते थे लेकिन 2 स्पिन गेंदबाज और 3 पेसर्स के साथ जाने के फैसले से न तो बल्लेबाजी में वो दम रहा जिसकी टीम को दरकार थी और न ही गेंदबाजी में वो सफलता हासिल हो सकी।
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