5-year-old son testifies to his mother murder
सत्यखबर,झांसी
झांसी के करगुवांजी गांव में ढाई साल पहले हुई महिला की हत्या के दोषी पति को कोर्ट ने 10 साल के कारावास की सजा सुनाई है। इस हत्याकांड में दंपती का 5 साल का बेटा इकलौता चश्मदीद था। उसने कोर्ट में पिता के खिलाफ गवाही दी। बेटे की गवाही पर कोर्ट ने हत्यारे पिता को सजा सुनाई।
दोषी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इसमें से 25 हजार रुपए बेटे को दिए जाएंगे। जुर्माना अदा नहीं करने पर एक साल की अतिरिक्त जेल काटनी होगी। यह आदेश न्यायालय संख्या-2 के अपर सत्र न्यायाधीश विजय कुमार वर्मा ने मंगलवार को सुनाया है।5-year-old son testifies to his mother murder
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र पांचाल ने बताया कि अंदर सैंयर गेट निवासी शकुंतला देवी ने नवाबाद थाना में तहरीर दी थी। इसमें बताया था कि मेरी बेटी पूनम कुशवाहा की शादी 12 साल पहले करगुवांजी गांव के राकेश कुशवाहा उर्फ बब्लू से हुई थी। शादी के बाद दामाद बेटी के साथ मारपीट कर जान से मारने की धमकी देता था।
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6 फरवरी 2020 को छोटी बेटी चांदनी ने फोन कर बताया कि ससुराल में पूनम की मौत हो गई। तब मैं परिजनों के साथ पूनम के ससुराल पहुंची। वहां पूनम पलंग पर मृत पड़ी थी। उसके शरीर पर चोट के निशान थे। पूनम के 5 साल के बेटे ने बताया कि मां को पापा ने मारा पीटा है। राकेश पर आरोप था कि मारपीट कर मुंह और नाक को हाथों से दबाकर पत्नी की हत्या की है। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया था।
बेटे की गवाही को अहम माना गया
वारदात का बेटा ही इकलौता चश्मदीद था। पुलिस ने उसको गवाह बनाते हुए पहले 164 के तहत कोर्ट में गवाही कराई थी। बाद में उसने कोर्ट में दोबारा गवाही दी। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने राकेश कुशवाहा को IPC की धारा 304 के खंड-2 (गैर इरादतन हत्या) का दोषी करार देते हुए 10 साल के कारावास की सजा सुनाई।5-year-old son testifies to his mother murder
कोर्ट ने कहा- थोड़ा बहुत विरोधाभास होना स्वाभाविक
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेंद्र पांचाल ने बताया कि बच्चे ने दो बार कोर्ट में गवाही दी। पहली घटना के बाद 164 के बयान में और दूसरी बार ट्रायल के दौरान। अभियुक्त के वकील ने कहा कि बाल गवाह बेटे के बयान में विरोधाभास है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि गवाह के साक्ष्य में उपरोक्त विरोधाभास स्वाभाविक है। वह घटना के समय मात्र 5 साल का था। मम्मी पापा के बीच लड़ाई झगड़ा और मारपीट को देख-सुनकर उसके द्वारा डर जाना, डर में खुद को सोता हुआ दिखाना स्वाभाविक है। गवाह के साक्ष्य में थोड़ा बहुत विरोधाभास होना स्वाभाविक है। इससे साक्षी की विश्वसनीयता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
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