सत्यखबर, नई दिल्ली
दिवाली का पर्व 5 दिनों का होता है, धनतेरस से शुरू होकर ये त्योहार भाई-दूज पर खत्म होता है। बहन-भाई के प्रेम का प्रतीक इस त्योहार का सबसे ज्यादा इंतजार भाई-बहनों को ही होता है। इस दिन भाई अपनी बहन के पास टीका करवाने जाता है और बहन अपने भाई के माथे पर टीका करके उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार देता है, कहीं-कहीं पर भाई अपनी बहनों के पैर भी छूते हैं। आपको बता दें कि भाई-बहन के प्रेम का ये त्योहार 6 नवंबर को है।
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भाईदूज का मुहूर्त भाई दूज की द्वितिया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लगेगी, जो कि 6 नवंबर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक बनी रहेगी। भाईयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 बजे से लेकर 3 बजकर 21 बजे तक रहेगा।
थाली में होनी चाहिए ये चीजें
जिस थाली से बहनें भाई को आरती करने वाली हैं, वो थाली स्टील, तांबे, चांदी या पीतल की होनी चाहिए। थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, फूल माला, मिठाई, कलावा, दूब घास और केला होना चाहिए। आरती वाला दीपक घी का होना चाहिए। आरती करते और करवाते वक्त दोनों का सिर ढंका होना चाहिए।
पूजा विधि सुबह उठकर नहा-धोकर स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर भगवान गणेश और विष्णु जी की पूजा करें। फिर अपने भाई को टीका करें। उनके हाथ में कलावा बांधें। आरती उतराइए और फिर मिठाई खिलाइए। भाई बहनों को गिफ्ट दें और पैर छूएं।
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