सत्य खबर, नई दिल्ली
देश के सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी मामले में जांच-पड़ताल चल रही है। हजारों करोड़ की धोखाधड़ी के परिप्रेक्ष्य में विपक्षी दल कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस ने इस घोटाले की जड़ प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात में मुख्यमंत्री कार्यकाल से जोड़ी है, क्योंकि धोखाधड़ी वाली एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड को 2007 में जमीन आवंटित की गई थी। वहीं, केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत 8 के खिलाफ केस दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि, यह बैंक-धोखाधड़ी नीरव मोदी के 14 हजार करोड़ और विजय माल्या के 9 हजार करोड़ रुपए के कुल घोटाले से भी ज्यादा 22,842 करोड़ रुपए की है। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि, घोटाले की रकम बताए जा रहे आंकड़े से कई गुना ज्यादा है। खबर है कि, मुख्य आरोपी ऋषि अग्रवाल देश छोड़ने के बाद अब सिंगापुर में रह रहा है।
देश के इतिहास की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी कांग्रेस के आरोप हैं कि, साढ़े 7 साल में 5.35 लाख करोड़ की बैंक धोखाधड़ी हुई। पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने कहा कि, भाजपा सरकार के दौरान 5.35 लाख करोड़ की बैंक धोखाधड़ी हुई है और लूट, धोखा-धड़ी के ये दिन केवल प्रधानमंत्री मोदी के दोस्तों के लिए अच्छे दिन हैं। उन्होंने कहा कि 75 साल में लोगों के धन के साथ इतनी धोखाधड़ी नहीं हुई। राहुल ने आरोप लगाए कि, यह देश के इतिहास की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी सामने आई है।
कांग्रेस ने कहा- सरकार को पहले ही चेताया था कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला का कहना है कि, हमने वर्ष 2018 में ही घोटाले के बारे में केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा कि, हमारी पार्टी ने 2018 में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को चेताया था कि एबीजी शिपयार्ड एक घोटाला है। उससे भी पहले गुजरात सरकार ने 2007 में एबीजी शिपयार्ड को भूमि आवंटित की थी। उस वक्त मोदी मुख्यमंत्री थे। जिन्होंने एबीजी शिपयार्ड के लिए 1,21,000 वर्ग मीटर भूमि आवंटन को मंजूरी दिलाई। इस तरह, सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी की उनके राज में ही जम गई थी।
भारतीय स्टेट बैंक ने दी यह सफाई वहीं, कांग्रेस के आरोपों पर भारतीय स्टेट बैंक ने सफाई दी है। स्टेट बैंक ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराने में देरी के आरोपों से इनकार किया है। स्टेट बैंक ने कहा है कि, फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर धोखा-धड़ी घोषित होते ही सीबीआई से शिकायत की गई थी। उसके बाद जांच एजेंसी के सवालों पर और जानकारियां जुटाई गईं। सभी बैंकों के फोरम ने पूरे मामले में सीबीआई के साथ लगातार संपर्क में रहते हुए कार्रवाई को आगे बढ़ाया।’ इस मामले में तहलका तब मचा जब, 2 दिन पहले सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड, उसके पूर्व सीएमडी और निदेशकों के खिलाफ केस दर्ज कर छापेमारी की। खबरों में बताया जाने लगा कि, 22,842 करोड़ की धोखाधड़ी हुई है।
कौन-कौन सी बैंक रहीं निशाने पर? सूरत और दहेज की एबीजी शिपयार्ड कंपनी एवं उससे जुड़े लोगों के निशाने पर भारत की सबसे बड़ी बैंक स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई समेत कई बैंक थीं। 6 बैंकों के ही 17,734 करोड़ रुपए बकाया है। बैंक बकाया आईसीआईसीआई 7,089 आईडीबीआई बैंक 3,634 एसबीआई 2,925 बैंक ऑफ बड़ौदा 1,614 पंजाब नेशनल बैंक 1,244 इंडियन ओवरसीज बैंक 1,228 कुल 17,734 उपरोक्त राशि- करोड़ रुपए में।
बैंक डिफॉल्टरों की सूची में अब ऋषि अग्रवाल इसके अलावा कई हजार करोड़ वे हैं, जो धोखा-धड़ी की रकम में जोड़कर बताए जा रहे हैं। स्टेट बैंक का कहना है कि, धोखा-धड़ी का पता चलते ही सीबीआई से शिकायत की गई थी। वहीं, कांग्रेस इस मामले पर सरकार को घेर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अब बैंक डिफॉल्टरों की लंबी सूची में नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी, विजय माल्या, जतिन मेहता, चेतन संदेसरा के साथ ऋषि अग्रवाल का नाम भी आ गया है। ये सब सरकार के करीबी हैं और आम आदमी का पैसा लूटा गया है।’
क्या है ABG शिपयार्ड, कब शुरू हुई? एबीजी शिपयार्ड देश की सबसे बड़ी निजी जहाज निर्माण कंपनियों में से एक है। साथ ही यह विविध व्यावसायिक हितों वाली कंपनियों के एबीजी समूह का एक हिस्सा है। इसकी स्थापना 1985 में हुई, और इसका मुख्यालय मुंबई में है। गुजरात में सूरत और दहेज में इसका जहाज निर्माण कारखाना है।
कहा जाता है कि, यहां 20 टन वजन तक के जहाजों का निर्माण करने की क्षमता है। अक्टूबर 2010 में वेस्टर्न इंडिया शिपयार्ड लिमिटेड के अधिग्रहण के बाद, यह गोवा में एक जहाज मरम्मत इकाई संचालित करती है जो भारत में सबसे बड़ी जहाज रखरखाव सुविधा है।
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