story of chaudhary Bansilal and Sanjay Gandhi
सत्यखबर, पोलिटिकल डेस्क। देश और हरियाणा की सियासत पर प्रभाव छोडऩे वाले चौधरी बंसीलाल अपनी सख्त मिजाजी और सिद्धांतवादी फैसलों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते थे। इसके साथ ही चौधरी बंसीलाल के गांधी परिवार से मधुर संबंध थे।story of chaudhary Bansilal and Sanjay Gandhi
संजय गांधी और चौधरी बंसीलाल जिगरी यार थे। संजय गांधी और बंसीलाल के साथ अनगिनत किस्से जुड़े हैं। आपातकाल के दौरान नसबंदी को लेकर बंसीलाल ने खूब जबरदस्ती की। उस समय एक नारा चलन में आया नसबंदी के तीन दलाल संजय, इंदिरा बंसीलाल। इसके साथ ही चौधरी बंसीलाल ही वो शख्स हैं जिन्होंने संजय गांधी का सपना पूरा करने का काम किया। संजय गांधी कारों के दीवाने थे। वे देश में कारों का कारखाना लगाना चाहते थे। आज मारुति सुजुकी देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है तो इस कंपनी के बनने के पीछे की कहानी के पीछे दो किरदारों का योगदान रहा है । यह दो किरदार थे चौधरी बंसीलाल और संजय गांधी।
दरअसल इस कंपनी की स्थापना का किस्सा भी बड़ा रोचक है दून स्कूल से ड्रॉप आउट होने के बाद 1964 की शुरुआत में संजय गांधी लंदन चले गए। वहां रोल्स रॉयस में उन्होंने इंटर्नशिप की। इसके बाद 1966 में भारत लौटने के बाद संजय गांधी ने देश में आम लोगों के लिए कार बनाने का सपना देखना शुरू किया। इसके लिए संजय गांधी ने दिल्ली के गुलाबी बाग में एक वर्कशॉप भी तैयार का। इस वर्कशॉप यह उन्होंने कार का बेस फ्रेम भी खुद ही तैयार किया। संजय को अब कारखाना लगाना था।
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संजय गांधी की जिद के आगे मां इंदिरा गांधी को झुकना पड़ा। इंदिरा गांधी ने कैबिनेट में कार निर्माण के लिए सरकारी कंपनी के गठन का प्रस्ताव रखा। 4 जून 1971 को मारुति मोटर्स लिमिटेड नामक एक कंपनी का गठन किया गया। इस कंपनी के पहले एमडी थे संजय गांधी। अनुबंध के अनुसार सरकार ने मारुति को देश में हर साल 50000 सस्ती कीमत की कार बनाने की मंजूरी दी थी। खास बात यह है कि संजय गांधी को कारखाना लगाने के लिए दिल्ली के साथ लगते इलाके में जमीन चाहिए थ। बंसीलाल 1968 में इंदिरा गांधी की मेहरबानी की बदौलत ही हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे।
बंसीलाल को जब अपने जिगरी यार संजय गांधी के सपने के बारे में पता लगा तो बंसीलाल ने ही गुडग़ांव के पास जमीन दिलवाने को लेकर पहल की। बंसीलाल ने अपने सबसे सीनियर अफसरों को हुक्म दिया कि वे दिल्ली जाकर संजय गांधी को उनकी मारुति फैक्ट्री के लिए जमीन दिलवाने में मदद करें। शर्त यह थी कि जमीन दिल्ली के पास होनी चाहिए। मारुति के लिए बंसीलाल ने जिस जमीन को चुना वह खेती योग्य उपजाऊ जमीन थी। बंसीलाल ने ही संजय गांधी को 290 एकड़ जमीन का कब्जा दिलवाया। मारुति को जमीन 10000 रुपए एकड़ के हिसाब से बेची गई, जबकि बगल वाली जमीनों का दाम उस समय 35000 रुपए एकड़ था। जमीन के दाम को 18 किश्तों में दिया जाना था, लेकिन मारुति ने दो किश्तों के बाद हरियाणा सरकार को बकाया देना बंद कर दिया। हालांकि मारुति कारखाना संजय गांधी की मौत के बाद धरातल पर शुरू हो सका था।story of chaudhary Bansilal and Sanjay Gandhi
1980 में एक बार फिर से इंदिरा गांधी जब सत्ता में लौटी तो कुछ ही महीनों बाद संजय गांधी की हवाई हादसे में मौत हो गई थी। इस तरह संजय गांधी का सपना अधूरा रह गया लेकिन संजय गांधी के सपने को मूर्त रूप दिया बंसीलाल ने। हरियाणा के गुडग़ांव में मारुति कारखाना लगाया गया। संजय गांधी की मौत के बाद अपनी पहली कार मारुति 800 लॉन्च किया। इस तरह संजय गांधी का कार बनाने का सपना पूरा हुआ और मारुति सुजुकी कार भारत के बाजार में उतरी। यहां तक की मारुति 800 कार की चाबी देने के लिए खुद इंदिरा गांधी गुडग़ांव के कारखाने में आई। इस दौरान राजीव गांधी और बंसीलाल भी उनके साथ मौजूद थे।
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