सत्य खबर, रोहतक ।
Government should cut our neck before cutting trees and cutting plots – Jaihind
रोहतक के सेक्टर-6 में करीब 9 एकड़ जमीन अधिग्रहण को लेकर सरकार और किसान आमने-सामने आ गए हैं। सरकार ने दावा किया है कि हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद वह जमीन का अधिग्रहण करेगी। जबकि किसानों ने कहा कि वे अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देना चाहते। साथ ही कहा कि सरकार व विभाग द्वारा कोर्ट में गलत तथ्य पेश किए गए है। इसलिए वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
सेक्टर-6 के बाद में नवीन जयहिंद ने कहा कि वे आमजन की आवाज उठाते आए हैं। जिसके कारण सरकार डरकर इस तरह के स्टेटमेंट दे रही है। जयहिंद ने कहा कि सरकार गर्दन काट सकती है लेकिन पेड़ नहीं काटने देंगे। सरकार को एक इंच जमीन नहीं देंगे।
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हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जमीन एडवोकेट राजबीर राठी की है। एडवोकेट राजबीर राठी ने कहा करीब 1200 किसानों ने सरकार के खिलाफ भूमि अधिग्रहण को लेकर लड़ाई लड़ने का फैसला लिया और इसका जिम्मा सभी ने मिलकर नवीन जयहिंद को सौंपा है।
नवीन जयहिंद ने कहा कि हुडा विभाग द्वारा वर्ष 2002 में इस जमीन का अधिग्रहण हुआ था। उसके बाद 2008 में सरकार बदली तो नई नीति बनाई। जिसके तहत इस जमीन में से हुडा विभाग ने 300 एकड़ जमीन रिलीज करके वापस किसानों को दे दिया।
स्टे के बाद विभाग ने प्लाट अलाट करके किया धोखा
2008 में किसानों ने यह जमीन ले ली। बाद में इस जमीन पर जब कब्जा करने प्रशासन आया तो हाईकोर्ट से स्टे मिला। इसी आधार पर स्टे मिला था कि उन लोगों की जमीन रिलीज कर दी तो इनकी रिलीज करने में क्या दिक्कत है। 2012 में हुडा डिपार्टमेंट ने हाईकोर्ट का स्टे होने के बाद भी प्लाट अलाट कर दिए। प्लाट धारकों के साथ भी विभाग ने धोखा किया।
नवीन जयहिंद ने कहा कि विभाग द्वारा हाईकोर्ट में कहा गया है कि यह जमीन खाली पड़ी है। ना ही यहां मकान है और ना ही पेड़। जयहिंद ने कहा कि वे पिछले करीब 10 साल से यहां रह रहे हैं। वहीं सैकड़ों पेड़ यहां लगाए गए है। जो ऑक्सीजन देते हैं और पर्यावरण को शुद्ध करने का काम करते हैं। लेकिन सरकार व प्रशासन को शायद यह दिखाई नहीं दिया।
सरकार निकाल रही रंजिश
जयहिंद ने कहा कि वे लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उसकी खुंदक (रंजिश) सरकार इस जमीन के जरिए निकालना चाहती है। लेकिन इतने कमजोर नहीं हैं, कि सरकार ऐसे ही हमारी जमीन को छीन लेगी। इसकी लड़ाई कानूनी रूप से सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जाएगी। अभी हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद 90 दिन का समय होता है, हाईकोर्ट में जाने के लिए।