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संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी आज, जानें क्या हुआ था उस दिन

सत्य खबर/ नई दिल्ली:Today is the 22nd anniversary of the terrorist attack on Parliament, know what happened that day

संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी,2001 में नौ लोगों ने दी थी शहादत,पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने दी शहीदों को श्रद्धांजलिसंसद भवन पर हुए आतंकी हमले की आज 22वीं बरसी है. आज ही के दिन 2001 में आतंकवादियों ने संसद भवन पर हमला कर पूरे देश को दहला दिया था. इस हमले में नौ लोग शहीद हो गये. बाद में सुरक्षा बलों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हमला करने वाले पांच आतंकियों को मार गिराया.

संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी पर आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और कई अन्य। सांसदों ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि.

पीएम मोदी ने शहीदों के परिजनों से मुलाकात की

संसद पर हुए आतंकी हमले की 22वीं बरसी के मौके पर कई शहीदों के परिवार भी मौजूद रहे. शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उनके परिजनों से मुलाकात की और उनका हालचाल पूछा और उन्हें सांत्वना दी.

इस मौके पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट भी लिखा. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि आज हम 2001 में संसद हमले में शहीद हुए वीर सुरक्षाकर्मियों को याद कर रहे हैं और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं. खतरे के सामने उनका साहस और बलिदान हमारे देश की स्मृति में सदैव अंकित रहे

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राष्ट्रपति मुर्मू ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश हमेशा उन बहादुर सुरक्षाकर्मियों का ऋणी रहेगा जिन्होंने 2001 में संसद पर आतंकवादी हमले के दौरान अपनी जान गंवा दी थी। राष्ट्रपति ने एक बार फिर आतंकवाद को खत्म करने का अपना संकल्प दोहराया।राष्ट्रपति मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, नौ लोगों ने मातृभूमि के लिए अपनी जान दे दी और देश हमेशा उनका ऋणी रहेगा।

आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए ख़तरा है

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस अवसर पर कहा कि भारत अपने सर्वोच्च बलिदान के लिए 2001 में हमारी संसद पर हमले के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले साहसी सुरक्षाकर्मियों का हमेशा ऋणी रहेगा। आतंकवाद दुनिया भर में मानवता के लिए खतरा बना हुआ है और वैश्विक शांति में इस बाधा को खत्म करने के लिए देशों का एकजुट होना जरूरी है।

संसद के लिए नौ लोगों ने शहादत दी

13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हुआ आतंकवादी हमला देश की सबसे दुस्साहसिक आतंकवादी घटनाओं में गिना जाता है। इस हमले के दौरान दिल्ली पुलिस के जवानों ने आतंकियों के खिलाफ मोर्चा संभाला, लेकिन हमले के दौरान पांच जवानों को शहीद होना पड़ा. इनमें नानक चंद, रामपाल, ओमप्रकाश, बिजेंद्र सिंह और घनश्याम शामिल हैं। इन जवानों के अलावा इस आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कांस्टेबल कमलेश भी शहीद हो गईं.

संसद की सुरक्षा में तैनात दो सुरक्षाकर्मी जगदीश प्रसाद यादव और मातबर सिंह नेगी भी अपनी वीरता का परिचय देते हुए शहीद हो गये. इसके साथ ही संसद भवन स्थित एक पार्क में पेड़-पौधों की देखभाल करने वाले माली देशराज की भी जान चली गई. इस तरह इस आतंकी हमले में नौ लोग शहीद हो गए. इनके अलावा फायरिंग में 16 जवान घायल हो गए.

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आतंकी हमले में अफजल गुरू को फाँसी

संसद भवन पर हुए इस हमले में सुरक्षा बलों ने सभी आतंकियों को मार गिराया था. दिल्ली पुलिस के मुताबिक मारे गए आतंकियों में हैदर उर्फ तुफैल, मोहम्मर राणा, रणविजय, हमला शामिल हैं.इस हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का हाथ था. हमले की साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरु को बाद में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उसने पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण भी लिया था.

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2002 में दिल्ली हाई कोर्ट और 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद 9 फरवरी 2013 की सुबह अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी.

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