मैक्स हॉस्पिटल ने किडनी ट्रांसप्लांटेशन के बारे में किया लोगों को जागरूक
सत्य खबर, पानीपत ।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शालीमार बाग नई दिल्ली ने आज एक जन जागरूकता सत्र में किडनी ट्रांसप्लांट व उससे जुड़े मिथ और सर्जरी के बाद मरीज और डोनर की जिंदगी में आने वाले बदलाव के बारे में जानकारी दी।
मैक्स हॉस्पिटल शालीमार बाग में नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के डायरेक्टर डा. मनोज अरोड़ा, नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसिन के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डा. योगेश छाबड़ा, यूरोलॉजी-रोबोटिक एंड किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग में सीनियर कंसल्टेंट डा.रजत अरोड़ा ने ट्रांसप्लांटेशन की मदद से मरीजों के जीवन में सुधार और उनकी सेहत में बदलाव के बारे में जानकारी दी। मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर हर महीने कुछ तय दिनों पर पानीपत स्थित मैक्स मेड सेंटर जाएंगे और ओपीडी सेवाएं देंगे। डा. मनोज अरोड़ा ने हाल के वक्त में क्रोनिक किडनी डिजीज के बढ़ते मामलों पर जानकारी सांझा की। उन्होंने कहाकि लगभग 10 प्रतिशत भारतीय एडल्ट अलग-अलग तरह की किडनी डिजीज से जूझते हैं जो मुख्य रूप से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के साथ होती है। डायबिटीज और हाई बीपी के चलते किडनी डिजीज के 60 प्रतिशत से ज्यादा मामले सामने आते हैं। डा.योगेश छाबड़ा ने किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े भ्रम और गलतफहमियों को दूर करते हुए कहा कि काफी लोगों के बीच किडनी ट्रांसप्लांटेशन, डोनर और प्राप्तकर्ता के बारे में गलत धारणाएं रहती हैं। लोगों को उसी के महत्व को समझने के लिए इन मिथकों को दूर करना जरूरी है। इस तरह की चुनौतियों को दूर करने में शिक्षा और जागरूकता अहम रोल निभाते हैं। वहीं डा. रजत अरोड़ा ने कहा कि रोबोटिक सर्जरी और लेप्रोस्कोपी ने किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी में क्रांति आ गई है और इनकी मदद से ट्रांसप्लांटेशन ज्यादा सुरक्षित और दक्ष हो गई है। रोबोट की मदद से की जाने वाली सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी जल्दी होती है, दर्द कम होता है और निशान भी कम आते हैं। हमारा उद्देश्य लोगों को इन एडवांस तकनीक के बारे में जानकारी देने और उनके अंदर सर्जरी को लेकर विश्वास पैदा करना है।