हरियाणा

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में पूर्व मंत्री राव नरबीर की फर्जी डिग्री मामले में बहस नहीं हो सकी।

सत्य खबर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :
हरियाणा सरकार के पूर्व मंत्री राव नरवीर सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। बीते सोमवार को उच्च न्यायालय में चल रही फर्जी शैक्षिक डिग्री मामले की फाइनल बहस होनी थी। मगर नहीं हो सकी।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय चंडीगढ़ में सोमवार को हरेंद्र ढींगरा बनाम नरवीर सिंह केस मामले की फाइनल बहस होनी थी। मगर किसी कारण से नहीं हो सकी। माननीय जस्टिस विकास बहल ने बहस के लिए अगली तारीख 30 जुलाई 24 लगा दी है।
आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगरा ने आरटीआई एक्ट 2005 के तहत पूर्व मंत्री राव नरवीर सिंह की शैक्षिक डिग्री के बारे में वर्ष 2005,2009 तथा 2014 में हुए चुनाव में भारत के चुनाव आयोग को सौंपी गए हलफनामे की प्रति लेकर उसमें दी गई गलत जानकारियों को उजागर किया था। जिसकी गुंज उस समय पर काफी ऊपर तक पहुंची थी। उपरोक्त गलत जानकारी को सार्वजनिक करने पर बौखलाहट में मंत्री ने एक्टिविस्ट पर मामला दबाने का दबाव बनवाया था। यह भी चर्चाएं उस समय चल रही थी कि आरटीआई एक्टिविस्ट को एक फर्जी केस में फंसा कर जेल भी भिजवाया गया था। तभी से यह मामला अलग-अलग स्टेज पर अदालत में चल रहा है। वही यह भी चर्चाएं भी चल रही थी कि हलफनामे में गलत जानकारी देने पर ही पूर्व मंत्री की पिछले विधानसभा चुनाव मे टिकट भी भाजपा आलाकमान ने काट दी थी। तथा बादशाहपुर विधानसभा से मनीष यादव को मैदान में उतारा था। जो निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद से चुनाव में हार गए थे। अब कुछ ही महीने बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पूर्व मंत्री अभी से ही बादशाहपुर विधानसभा से चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं, जबकि बादशाहपुर विधानसभा से पूर्व ओएसडी जवाहर यादव भी अपनी ताल ठोकने में लगे हुए हैं।
वही गुरुग्राम में यह भी चर्चाएं जोरों पर चल रही है कि आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगरा और पूर्व मंत्री राव नरवीर सिंह के बीच इस केस को लेकर आपस में समझौता होने की चर्चाएं भी थी, जबकि यह मामला धोखाधड़ी सहित देश के संविधान के प्रति खिलवाड़ का भी बन रहा है। वही देश की जनता को गुमराह करने उनके मन को ठेस पहुंचा कर गलत तरीके से वोट हासिल कर सत्ता सुख भोगना जैसे कई संगीन मामले बन रहे हैं। इसलिए समझौता होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि मामला जो कुछ भी हो वह तो माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर ही सामने आएगा। गुरुग्राम के राजनीतिक गलियारों में इस केस को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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