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पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 1 न्यायिक अधिकारी को बर्खास्त व 2 को निलंबित किया।

सत्य ख़बर, चंडीगढ़, सतीश भारद्वाज :

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में जिला अदालतों में भ्रष्टाचार व अनुशासनहीनता के मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए एक न्यायिक अधिकारी को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं। जबकि दो अन्य की सेवाओं को निलंबित किया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने पूर्ण न्यायालय की बैठक में यह निर्णय लिया।

वहीं जानकारी से पता चलता है कि पूर्ण न्यायालय ने सचल बब्बर को बर्खास्त करने की सिफारिश पंजाब सरकार को की गई है। जबकि ज्योति मेहरा और कुणाल गर्ग की सेवाओं को निलंबित किया गया है। पंजाब कैडर के अधिकारी बब्बर बठिंडा में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद पर तैनात थे, लेकिन पहले के एक निर्णय के तहत उनकी सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था।

न्यायालय ने उनकी किसी अन्य स्थान पर पिछली पोस्टिंग के दौरान उनके खिलाफ लगे आरोपों के बाद उनकी सेवा में बने रहने के मुद्दे पर पूर्ण न्यायालय के समक्ष विस्तृत चर्चा हुई। पूर्ण न्यायालय की बैठक का शाब्दिक अर्थ है वह बैठक जिसमें उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीश शामिल होते हैं। यह बैठक अधीनस्थ न्यायपालिका से संबंधित न्यायिक अधिकारियों और न्याय व्यवस्था से संबंधित प्रशासनिक मुद्दों और अन्य संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से आयोजित की जाती है। ऐसी बैठकों में तबादले, पदस्थापना, पदोन्नति और न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई जैसे फैसले लिए जाते हैं। पलवल जिला न्यायालय में तैनात मेहरा पिछले साल दिसंबर से बिना अनुमति के ड्यूटी से अनुपस्थित थीं और उनके मामले में दो शिकायतें थीं। गर्ग भी पलवल में ही तैनात थे, लेकिन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में। वहीं यह भी जानकारी मिली है कि प्रशासनिक पक्ष से उच्च न्यायालय भी एक तरह के घोटाले की जांच कर रहा है, जिसमें न्यायिक अधिकारी अपने ही रिश्तेदारों को अपने अधीन कर्मचारी के रूप में काम करते हुए दिखा रहे हैं। अधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा भुगतान किए जाने वाले “डीसी” दरों पर चपरासी या ड्राइवर जैसे स्टाफ सदस्य की भर्ती करने की अनुमति है। लेकिन वे अपने रिश्तेदारों को काम पर रखकर वित्तीय लाभ प्राप्त कर रहे थे। आज लिए गए निर्णयों के अलावा, उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर से कम से कम तीन न्यायिक अधिकारियों की सेवाओं को निलंबित कर दिया है, जबकि दो को बर्खास्त कर दिया है। पूर्ण न्यायालय अधीनस्थ न्यायपालिका में भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता, आत्मसंतुष्टि और अन्य कारकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है। इसने अब तक 24 से अधिक न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की है, जिससे अधीनस्थ न्यायपालिका में शून्य सहनशीलता का कड़ा संदेश गया है।

बता दें कि जब सीबीआई जज सुधीर परमार का मामला एक बिल्डर के साथ मिली भगत का चर्चा में था उसी समय गुरुग्राम में भी कई वकीलों ने कई जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप मीडिया में तथा यूट्यूबर के सामने बयान दिए थे। जिस पर भी माननीय उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेना चाहिए। हालांकि गुरुग्राम में भी कई मामलों में तैनात रहे सिविल जजों पर गाज गिर चुकी है। मगर जिनके साथ उनके मामले जुड़े हुए थे उन वकीलों पर आज तक भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इन बातों की भी चर्चाएं आए दिन जिला अदालत में होती रहती है। जिसपर बार काउंसिल भी केवल लीपापोती कर अपना पल्ला झाड़ रही है। ऐसे कई वकील भी इन दिनों दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं, जो बार काउंसिल में बैठे कुछ लापरवाह सदस्यों की प्रताड़ना का शिकार हो रहे है।

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