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बेशक अल्पमत में हो हरियाणा सरकार पर गिर नहीं सकती, जानिए वजह

सत्य खबर,चंडीगढ़ ।

लोकसभा चुनाव के बीच हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को झटका देते हुए तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को घोषणा की कि उन्होंने राज्य में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. तीन विधायकों-सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन और धर्मपाल गोंदर ने यह भी कहा कि उन्होंने चुनाव के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है. इस घटनाक्रम के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार अब अल्पमत में आ गई है, इसलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो.

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और आज़ाद रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में फिलहाल 88 विधायक हैं, जबकि बहुमत के लिए नायब सैनी की अगुवाई वाली बीजेपी को 45 का आंकड़ा छूना होगा. सरकार को फिलहाल 43 विधायकों का समर्थन हासिल है, जिसमें खुद भाजपा के 40, आज़ाद के 2, और हरियाणा लोकहित पार्टी के 1 विधायक गोपाल कांडा शामिल हैं.

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हालांकि, अल्पमत में होने के बावजूद सरकार पर फिलहाल कोई संकट नहीं है क्योंकि हरियाणा विधानसभा में मार्च 2024 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था और इसका मतलब यह है कि अगले 6 महीने तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता, जबकि अक्टूबर में ही हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल ख़त्म हो रहा है.

इससे पहले, तीनों निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में रोहतक में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की. गोंदर ने कहा, “हम सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं. हम अब कांग्रेस के साथ हैं.” उन्होंने कहा, “हमने किसानों से जुड़े मुद्दों सहित विभिन्न मुद्दों पर यह निर्णय लिया है.”

उदय भान ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “तीन निर्दलीय विधायकों -सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन और धर्मपाल गोंदर ने भाजपा नीत सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है और कांग्रेस को अपना समर्थन देने का फैसला किया है.”

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उदय भान ने कहा, “मैं यह भी कहना चाहता हूं कि (90 सदस्यीय) हरियाणा विधानसभा की मौजूदा क्षमता 88 की है, जिसमें से भाजपा के 40 सदस्य हैं. भाजपा नीत सरकार को पहले जननायक जनता पार्टी (जजपा) के विधायकों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन जजपा ने भी समर्थन वापस ले लिया था और अब निर्दलीय भी साथ छोड़ रहे हैं.”

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