गुरुग्राम निगम के छटनीग्रस्त कर्मचारी 3.8 वर्ष से न्याय के लिए भटक रहे हैं कोई सुनवाई नहीं
सत्य ख़बर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :
गुरुग्राम नगर निगम में अस्थाई तौर पर काम कर रहे कर्मचारी पिछले करीब 3 साल 8 महिने से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है, पीड़ितों का कहना है कि वे शहरी स्थानीय निकाय विभाग हरियाणा कार्यालय के सैकड़ों चक्कर लगा चुके हैं लेकिन आज तक उनकी सुनवाई नहीं हो रही हैं। जिससे जहां उनको मानसिक परेशानी हो रही है,वहीं आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ रहा है।
पीड़ित कर्मचारी शेखर यादव वगैरा ने आरोप लगाते हुए बताया कि युएलबी में सहायक पद पर तैनात चेतन और सुपरिटेंडेंट दीपक उनकी फाईल को पास कराने के लिए ऊपर भेजने की बजाय कार्यालय में ही फाइल फाइल का खेल खेल रहे हैं, कुर्सी के नशे में चूर जब इन कर्मचारियों से फाईल का स्टेटस बताने की जानकारी लेते हैं तो उल्टा पुल्टा जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
उन्होंने बताया कि घर में उनके पिताजी बीमार हे और वो अपने बीमार पिता को छोडकर शहरी स्थानीय निकाय विभाग हरियाणा कार्यालय पंचकुला के चक्कर काट रहा है, उसके घर में और कोई सम्भालने वाला भी नहीं है।
वहीं उन्होंने कहा कि यूएलबी में बैठे लापरवाह अधिकारी व कर्मचारी अपने विभाग के मंत्री के आदेश को भी दरकिनार कर उनकी फाइल को लटका रहे हैं, इसके संबंध में वे निर्देशक यशपाल यादव व वाई एस गुप्ता से भी कई दफा मिल चुके हैं। लेकिन कोरे आश्वासन के अलावा उन्हें आज तक न्याय नहीं मिल पा रहा है।
बता दें कि 3 साल पहले नगर निगम गुरुग्राम में अधिकारियों ने कुछ अस्थाई कर्मचारियों की छंटनी कर स्थाई कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया था। जिनमें एक उच्च अधिकारी ने भेदभाव की नीति को अपनाते हुए जिन अस्थाई कर्मचारियों पर काफी संगीत आरोप लगे थे उनको तो नौकरी से ना निकल कर अन्य कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। जिनमे शेखर यादव जैसे कई कर्मचारी शामिल थे जो तभी से ही गुरुग्राम स्थित लघु सचिवालय में उपायुक्त कार्यालय के सामने धरने पर बैठे हुए हैं। जिनकी आवाज प्रदेश व केंद्र सरकार के उच्च अधिकारियों के कानों तक भी पहुंची हुई है, मगर कोई भी पीड़ितों की मदद करने में अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं। युएलबी अधिकारियों ने उनको लोकसभा इलेक्शन के बाद उनकी फाइल को अप्रूवल दिलवाने का आश्वासन दिया था। मगर अभी तक उनकी फाइल पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। जिसके लिए उन्होंने सैकड़ों पत्थर भी हरियाणा सरकार व केंद्र सरकार के उच्च अधिकारियों में मंत्रियों को लिख चुके हैं।