ताजा समाचार

Delhi Home Shelter Case: दिल्ली आशा किरण होम्स में 14 विकलांगों की टीबी से मौत, LG ने मेडिकल अफसर को हटाया

Delhi Home Shelter Case: दिल्ली स्थित आशा किरण होम्स में मानसिक रूप से विकलांग 14 लोगों की मौत का मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जुलाई 2024 में इन मौतों की जांच के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें कई चौंकाने वाली अनियमितताएं उजागर हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आश्रय गृह में क्षमता से अधिक मानसिक रोगियों को रखा जा रहा था, जिससे वहां संक्रामक बीमारियाँ फैल रही थीं, और चिकित्सा कर्मी अनुपस्थित पाए गए।

क्षमता से अधिक रोगियों को रखना बना समस्या

आशा किरण होम्स में जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें से अधिकांश टीबी (क्षयरोग) जैसी संक्रामक बीमारी के शिकार थे। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि गृह में क्षमता से अधिक मानसिक रोगियों को रखा जा रहा था, जिससे संक्रामक बीमारियों का प्रसार तेज हो गया। इसके साथ ही, वहां की चिकित्सा सुविधाएँ बेहद खराब थीं। डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति न होने से बीमारी की समय पर पहचान और उपचार संभव नहीं हो पाया।

अपर्याप्त साफ-सफाई और चिकित्सा रिकॉर्ड का अभाव

जांच रिपोर्ट में साफ-सफाई की कमी, खराब वेंटिलेशन, और पीने के पानी की अनुपलब्धता का भी उल्लेख किया गया। इसके अलावा, वहां के मानसिक रोगियों के चिकित्सा रिकॉर्ड भी नहीं रखे जा रहे थे, जिससे उनकी चिकित्सा स्थिति पर नज़र रखना असंभव हो गया था।

एलजी का कड़ा रुख

दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वी. के. सक्सेना ने इस मामले में गंभीर लापरवाही और अनियमितताओं पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने तुरंत shelter home के प्रशासक पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, एलजी ने वहां चिकित्सकों की तैनाती के लिए भी कड़े निर्देश दिए हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। उन्होंने ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुनीता सिंह राठौड़ को भी हटा दिया, क्योंकि उन्होंने जांच में बाधा उत्पन्न की थी।

Maharashtra Board 10th Exam Result: महाराष्ट्र बोर्ड 10वीं परिणाम आज जारी! रिजल्ट देखने से पहले ये 3 स्टेप्स जरूर जान लें
Maharashtra Board 10th Exam Result: महाराष्ट्र बोर्ड 10वीं परिणाम आज जारी! रिजल्ट देखने से पहले ये 3 स्टेप्स जरूर जान लें
आशा किरण होम्स की पुनर्विकास योजना

एलजी ने इन मौतों के बाद आशा किरण होम्स के पुनर्विकास पर एक श्वेत पत्र की मांग की थी, जिसमें वहाँ की सुविधाओं को नए सिरे से तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, एलजी ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह गृह के पुनर्निर्माण और अन्य सुविधाओं की निगरानी करें, क्योंकि दिल्ली का सामाजिक कल्याण विभाग मंत्रीविहीन है।

Delhi Home Shelter Case: दिल्ली आशा किरण होम्स में 14 विकलांगों की टीबी से मौत, LG ने मेडिकल अफसर को हटाया

नई व्यवस्थाओं की जरूरत

रिपोर्ट के बाद, एलजी ने गृह के इन्फ्रास्ट्रक्चर को युद्ध स्तर पर सुधारने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि गृह में नामित प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा हर पखवाड़े इन सुविधाओं का निरीक्षण किया जाए और उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। इसके अलावा, उन्होंने तीनों आश्रय गृहों के लिए तैनात किए गए उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत रूप से वहां का निरीक्षण करें और रिपोर्ट दें।

बार-बार दी गई चेतावनियों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं

जांच रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जुलाई 2024 में यह बताया था कि गृह के अधीक्षक और कल्याण अधिकारी की देखरेख की कमी के कारण वहां कुपोषण और उपेक्षा की स्थिति बनी, जिससे टीबी के मामलों में वृद्धि हुई। यह भी पाया गया कि प्रशासन ने कई चेतावनियों के बावजूद इन समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया।

Punjab News: एक ही गांव में चार अर्थियां! जानिए जहरीली शराब के कहर की पूरी कहानी
Punjab News: एक ही गांव में चार अर्थियां! जानिए जहरीली शराब के कहर की पूरी कहानी

टीबी के प्रसार को रोकने के उपाय नहीं किए गए

एलजी वी. के. सक्सेना ने इस बात पर भी गहरी नाराज़गी जताई कि संक्रामक बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए लोगों को अलग-थलग क्यों नहीं रखा गया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि क्षमता से अधिक मानसिक रोगियों को रखने से यहां अमानवीय परिस्थितियां उत्पन्न हो गईं।

आगे की कार्रवाई

इस घटना ने न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि मानसिक रोगियों के प्रति समाज और व्यवस्था की असंवेदनशीलता को भी सामने रखा है। इस घटना के बाद, प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वह आशा किरण होम्स में सुधारात्मक कदम उठाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए बेहतर चिकित्सा और प्रशासनिक व्यवस्थाएं लागू करे।

इस मामले में प्रशासन की जवाबदेही तय करना जरूरी है ताकि मानसिक रोगियों को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार प्राप्त हो सके और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो।

Back to top button