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Punjab: मां के अवैध संबंध होने के बावजूद नाबालिग बच्चों की कस्टडी देने में कोई बाधा नहीं, पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला

Punjab: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया है कि यदि मां के अवैध संबंध हैं, तो भी नाबालिग बच्चों की कस्टडी देने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मां होने के नाते वह बच्चों को मातृत्व प्रेम देने में सक्षम होती है। इस निर्णय के तहत, हाई कोर्ट ने दो नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां को देने का आदेश दिया है और मामला फैमिली कोर्ट को नए सिरे से कस्टडी पर फैसला लेने के लिए भेजा है। साथ ही, हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिया है कि वे सभी मध्यस्थता केंद्रों पर एक नियमित बाल मनोवैज्ञानिक नियुक्त करें।

Punjab: मां के अवैध संबंध होने के बावजूद नाबालिग बच्चों की कस्टडी देने में कोई बाधा नहीं, पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला

पेहोवा फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती

महिला ने अपनी याचिका में पेहोवा फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसे अपने 3 और 6 वर्षीय बच्चों की कस्टडी से वंचित कर दिया गया था। दंपति के दो बच्चे थे और पति-पत्नी 2016 से अलग रह रहे थे। तब से बच्चे अपने पिता और दादा-दादी के पास रह रहे थे। मां की ओर से वकील ने तर्क किया कि बच्चे दादा-दादी द्वारा दुर्व्यवहार का शिकार हो रहे हैं और उनका ठीक से ख्याल नहीं रखा जा रहा है। मां के अवैध संबंधों के आरोप को भी खारिज किया गया था।

समाज में महिलाओं के चरित्र पर संदेह

हाई कोर्ट ने कहा कि एक पितृसत्तात्मक समाज में महिला के चरित्र पर संदेह करना सामान्य बात है। अक्सर ये आरोप बिना किसी ठोस आधार के लगाए जाते हैं। भले ही मान लिया जाए कि महिला का विवाहेतर संबंध है, यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वह अपनी संतान के लिए अच्छी मां नहीं हो सकती। वैध वैवाहिक संबंध से बाहर का सहमति से किया गया संबंध, जिसमें कुछ हद तक अवैधता हो सकती है, मां को अपने नवजात/शिशु बच्चों की कस्टडी प्राप्त करने से नहीं रोकता, क्योंकि वह अपने बच्चों को पूरा मातृत्व प्रेम और स्नेह प्रदान करती है।

फैमिली कोर्ट को नए आदेश की आवश्यकता

हाई कोर्ट ने इस मामले में पिता और दादा-दादी को निर्देशित किया कि वे बच्चों की कस्टडी मां को सौंप दें, जब तक फैमिली कोर्ट नया आदेश जारी नहीं करता। यह कदम बच्चों के बेहतर भविष्य और उनकी भावनात्मक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।

बाल मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति की आवश्यकता

हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन को सभी मध्यस्थता केंद्रों पर नियमित रूप से बाल मनोवैज्ञानिक नियुक्त करने का आदेश दिया है। यह कदम बच्चों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति की उचित देखरेख के लिए आवश्यक है।

फैमिली कोर्ट के नए आदेश की प्रतीक्षा

अब इस मामले की सुनवाई फैमिली कोर्ट द्वारा की जाएगी और कोर्ट नए सिरे से बच्चों की कस्टडी पर निर्णय लेगी। इस दौरान, हाई कोर्ट ने बच्चों की तत्काल कस्टडी मां को सौंपने का आदेश दिया है ताकि बच्चों की भलाई सुनिश्चित की जा सके।

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