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कर्नाटक सरकार ने किया Barack Obama को आमंत्रित, आज़ादी और गांधी से जुड़ा है कार्यक्रम

भारत में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति Barack Obama की संभावित यात्रा की चर्चा चल रही है। दरअसल, कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने Barack Obama को राज्य में आयोजित एक विशेष विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। यह सत्र भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1924 के बेलगाम अधिवेशन के 100वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर पर, ओबामा को आमंत्रित करके कर्नाटक सरकार स्वतंत्रता संग्राम और गांधीवादी मूल्यों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना चाहती है।

बेलगाम अधिवेशन और महात्मा गांधी का नेतृत्व

कर्नाटक के बेलगाम में 1924 में हुए कांग्रेस अधिवेशन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक विशेष स्थान है। यह वह ऐतिहासिक अधिवेशन था जिसे महात्मा गांधी ने स्वयं अध्यक्षता की थी। गांधीजी के नेतृत्व में यह पहला और एकमात्र अधिवेशन था, जिसमें उन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए एक नए और व्यापक आंदोलन की आवश्यकता पर बल दिया। यह सत्र न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ और देश के विभिन्न कोनों से आए स्वतंत्रता सेनानियों को संगठित करने का कार्य किया।

ओबामा का भारत दौरा और उनके गांधी प्रेम

Barack Obama का भारत से एक विशेष रिश्ता रहा है। राष्ट्रपति रहते हुए ओबामा ने दो बार भारत का दौरा किया था। पहली बार उन्होंने 2010 में 6 से 9 नवंबर के बीच भारत की यात्रा की थी, तब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात की थी। इसके बाद, ओबामा ने 24 से 27 जनवरी 2015 के बीच दूसरी बार भारत का दौरा किया, जब वे गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आए थे। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी।

ओबामा ने हमेशा से गांधीजी के विचारों की प्रशंसा की है। उन्होंने अपनी किताबों और भाषणों में महात्मा गांधी को अपनी प्रेरणा का स्रोत बताया है। ओबामा के लिए, गांधीजी के सत्य, अहिंसा और करुणा के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। ओबामा का इस कार्यक्रम में शामिल होना न केवल गांधीजी के सिद्धांतों को सम्मानित करेगा बल्कि भारतीय और अमेरिकी जनता के बीच सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत बनाएगा।

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बेलगाम अधिवेशन का महत्व

बेलगाम अधिवेशन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इस अधिवेशन में महात्मा गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था। यह गांधीजी के जीवन का एकमात्र अधिवेशन था, जिसमें उन्होंने स्वयं अध्यक्षता की थी। इस अधिवेशन में शामिल हुए स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी और भारतीय समाज में राष्ट्रवाद और आत्मनिर्भरता के विचारों को बढ़ावा दिया। इस अधिवेशन ने लोगों को एकजुट किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के लोगों को संगठित करने में एक अहम भूमिका निभाई।

सिद्धारमैया सरकार का कदम और आज के संदर्भ में गांधीवादी मूल्य

कर्नाटक सरकार का Barack Obama को इस विशेष अवसर पर आमंत्रित करना गांधीवादी मूल्यों को फिर से समझने और समाज में उन्हें बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। वर्तमान समय में, जहां विभाजन और असहिष्णुता के मामले बढ़ रहे हैं, गांधीजी के अहिंसा, सत्य और एकता के सिद्धांत को नए सिरे से समझना आवश्यक हो गया है। ओबामा जैसे वैश्विक नेता का इस कार्यक्रम में शामिल होना, भारतीय और वैश्विक समाज में गांधीवादी सिद्धांतों के महत्व को उजागर करेगा।

ओबामा और गांधीवादी सिद्धांत: एक सांस्कृतिक समागम

Barack Obama ने हमेशा से अपने जीवन में गांधीजी के सिद्धांतों को महत्व दिया है। उन्होंने गांधीजी के सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत को अपनी प्रेरणा का स्रोत बताया है। अपने कार्यकाल के दौरान ओबामा ने कई बार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और गांधीजी के योगदान की प्रशंसा की है। अगर ओबामा इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं, तो यह भारतीय और अमेरिकी सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगा और दोनों देशों के लोगों को गांधीजी के सिद्धांतों से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करेगा।

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बेलगाम अधिवेशन के 100 वर्ष: भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ

बेलगाम अधिवेशन का 100वां वर्ष न केवल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए बल्कि संपूर्ण भारतीय समाज के लिए गर्व का विषय है। इस अधिवेशन में गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी थी और यह दर्शाया था कि कैसे अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत का मुकाबला किया जा सकता है। 100 वर्षों के बाद, इस विशेष अधिवेशन का पुनः स्मरण करना भारतीय समाज को गांधीवादी सिद्धांतों की ओर लौटने का एक संदेश देता है।

कर्नाटक सरकार द्वारा Barack Obama को इस विशेष अधिवेशन में आमंत्रित करना एक ऐतिहासिक कदम है। यह भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और गांधीजी के सिद्धांतों को एक वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। ओबामा का इस कार्यक्रम में शामिल होना भारतीय समाज को एक नई प्रेरणा देगा और गांधीवादी मूल्यों की प्रासंगिकता को फिर से साबित करेगा।

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