Amit Shah: आतंकी हमलों से निपटने के लिए दो दिवसीय बैठक, Amit Shah करेंगे उद्घाटन
Amit Shah: केंद्र सरकार द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण दो दिवसीय बैठक में देश में आतंकवाद से निपटने के उपायों पर गहरी चर्चा की जाएगी। यह बैठक गुरुवार से शुरू हो रही है, जिसमें देश की विभिन्न आतंकवाद निरोधक एजेंसियों के प्रमुखों को एक साथ लाया जाएगा। इस सम्मेलन में जम्मू और कश्मीर में बढ़ते आतंकवादी हमलों और साथ ही विमानों और होटलों में बम की अफवाहों के कारण उत्पन्न हो रही चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे उद्घाटन
यह बैठक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा उद्घाटित की जाएगी। गृहमंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार किया जाएगा। पिछले 10 वर्षों में आतंकवादी घटनाओं में महत्वपूर्ण कमी आई है, खासकर जम्मू और कश्मीर में, लेकिन इसके बावजूद नए प्रकार के आतंकवाद का उभार हो रहा है, जिन पर इस बैठक में विस्तार से चर्चा की जाएगी।
आतंकी घटनाओं में कमी, लेकिन नई चुनौतियां
हालांकि पिछले दशक में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में काफी कमी आई है, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में नई चुनौतियां उभर कर सामने आई हैं। जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन उसका पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जा सका है। इसके कारण, पिछले कुछ महीनों में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।
पूर्वोत्तर भारत में भी अलगाववादियों की घटनाओं में काफी कमी आई है और गृहमंत्री अमित शाह ने 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने का संकल्प लिया है। हालांकि, आतंकवाद से संबंधित नई समस्याएं सामने आ रही हैं, जिन पर इस सम्मेलन में ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
विमानों और होटलों में बम की अफवाहों से निपटने के उपाय
इस सम्मेलन में विमानों और होटलों में बम की अफवाहों से निपटने के उपायों पर भी चर्चा की जाएगी। ये अफवाहें न केवल नागरिकों के बीच भय का माहौल उत्पन्न करती हैं, बल्कि देश की आर्थिक संप्रभुता को भी चुनौती देती हैं। अब तक सुरक्षा एजेंसियों को इन अफवाहों से निपटने के लिए कोई ठोस रणनीति तैयार करने में कठिनाई हो रही है, और इस मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी।
आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने की आवश्यकता
गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है, लेकिन इसका पारिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जा सका है। मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत, इस पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह से नष्ट करना आवश्यक है। इस पर रणनीतियों पर भी इस सम्मेलन में चर्चा की जाएगी।
इसके अतिरिक्त, विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के उपायों पर भी विचार किया जाएगा, ताकि गिरफ्तार आतंकवादियों को अदालत द्वारा शीघ्र और कठोर सजा दी जा सके।
जम्मू और कश्मीर विधानसभा में विशेष दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव
इसी बीच, जम्मू और कश्मीर विधानसभा ने बुधवार को राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया है, हालांकि इस प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 का उल्लेख नहीं किया गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया और इसे असंवैधानिक और देशद्रोही करार दिया। वहीं, कांग्रेस ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जो पहले अनुच्छेद 370 जैसे संवेदनशील मुद्दों से बच रही थी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने विधानसभा चुनावों से पहले वादा किया था कि वह विधानसभा में अनुच्छेद 370 को बहाल करने का प्रस्ताव पेश करेगी। बीजेपी ने इसका विरोध किया और इसे असंवैधानिक बताया, जबकि कांग्रेस ने इसका समर्थन किया।
सम्मेलन का महत्व और अपेक्षाएँ
आतंकवाद पर चर्चा करने और उसे खत्म करने के उपायों पर विचार करने के लिए यह दो दिवसीय सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है। देश में आतंकवाद और सुरक्षा से संबंधित नए मुद्दे उभर रहे हैं, जिन्हें इस सम्मेलन में विस्तार से परखा जाएगा। आशा की जा रही है कि इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप ठोस रणनीतियाँ तैयार की जाएंगी, जो देश की सुरक्षा को मजबूत करेंगे और आतंकवाद को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद करेंगे।
इस सम्मेलन में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि देश की सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़े, ताकि आतंकवाद से संबंधित मामलों में तीव्रता से कार्रवाई की जा सके। साथ ही, बम की अफवाहों के मामलों पर भी निर्णायक रणनीतियाँ बनाई जाएंगी, जिससे नागरिकों में भय का माहौल कम हो और देश की संप्रभुता पर आंच न आए।
यह बैठक न केवल आतंकवाद से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह उन नई चुनौतियों को भी उजागर करती है, जो देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद के नाम पर उभर रही हैं। गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन में देश के आतंकवाद निरोधक तंत्र को सशक्त बनाने के लिए ठोस रणनीतियाँ बनाई जाएंगी। इसके अलावा, आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को समाप्त करने और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के उपायों पर भी काम किया जाएगा।
इस सम्मेलन का उद्देश्य केवल आतंकवाद पर काबू पाना नहीं, बल्कि इसके साथ-साथ देश के नागरिकों को सुरक्षा का एहसास दिलाना भी है। आने वाले समय में, इस प्रकार की बैठकों और रणनीतियों से देश में सुरक्षा स्थिति में और सुधार देखने को मिल सकता है।