Uttar Pradesh में प्राचीन मंदिरों की खोज, बुलंदशहर और संभल में ऐतिहासिक घटनाएँ
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Uttar Pradesh में हाल ही में प्राचीन मंदिरों की खोज ने राज्य में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता को नया मोड़ दिया है। बुलंदशहर और संभल जैसे जिलों में इन मंदिरों की खोज ने न केवल स्थानीय समुदायों को जागरूक किया, बल्कि एक नए सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन की नींव भी रखी। इन मंदिरों को फिर से साफ किया गया है और पूजा अर्चना के लिए खोला गया है, जिससे धार्मिक पुनर्निर्माण और सामाजिक समरसता का संदेश फैल रहा है।
बुलंदशहर में प्राचीन मंदिर की खोज और सफाई
बुलंदशहर के सलमा हाकान मोहल्ले में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर की खोज ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। यह मंदिर एक मुस्लिम-बहुल क्षेत्र में पाया गया है, जो पहले 1992 में भड़की हिंसा के कारण वीरान हो गया था। उस समय क्षेत्र के हिंदू लोग यहां से पलायन कर गए थे, और इस मंदिर को छोड़ दिया गया था। अब, 42 वर्षों के बाद, विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने इस मंदिर की सफाई की और इस स्थान पर पूजा-अर्चना फिर से शुरू करने के लिए एक ज्ञापन ADM अभिषेक सिंह को सौंपा। यह घटनाक्रम धार्मिक सहिष्णुता और समाजिक एकता की मिसाल प्रस्तुत करता है।
इस मंदिर की सफाई और पुनर्निर्माण से यहां फिर से पूजा की शुरुआत हो सकेगी। यह कदम यह दिखाता है कि धर्म और संस्कृति को पुनर्जीवित करने का कार्य सिर्फ धार्मिक समुदायों का नहीं, बल्कि पूरे समाज का होना चाहिए।
संभल में प्राचीन ‘कल्कि विष्णु’ मंदिर की खोज
संभल जिले में भी एक प्राचीन मंदिर की खोज ने ध्यान आकर्षित किया है। ‘कल्कि विष्णु’ मंदिर का सर्वेक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा किया गया। यह मंदिर हिंदू पुराणों में वर्णित एक महत्वपूर्ण स्थल है, और इसका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत अधिक है। हाल ही में ASI की टीम ने इस मंदिर के परिसर में स्थित एक पुराने कुएं का निरीक्षण किया। पंडित महेन्द्र प्रसाद शर्मा, जो इस मंदिर के प्रमुख पुजारी हैं, ने कहा कि यह कुआं स्कंद पुराण में भी वर्णित है। उन्होंने कहा, “यह कुआं पूरी तरह से सूखा हुआ है, लेकिन यह एक ऐतिहासिक स्थल है और इसका उल्लेख स्कंद पुराण के वराह खंड में किया गया है।”
ASI टीम ने इस मंदिर और कुएं का निरीक्षण किया और 15 मिनट तक इस स्थल पर रुककर इसका महत्व समझा। संभल जिले की उपजिलाधिकारी वंदना मिश्रा ने बताया कि इस सर्वेक्षण का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह श्री कर्तिक महादेव मंदिर और पांच तीर्थ स्थलों और 19 कुओं के सर्वेक्षण से जुड़ा हुआ है, जो पहले ही किया जा चुका है।
संभल के अन्य धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण
संभल जिले में पिछले सप्ताह किए गए सर्वेक्षण में कुल पांच तीर्थ स्थल और 19 कुएं शामिल थे। इनमें चतुर्मुख कुओं, मोक्ष कुओं, धर्म कुओं के साथ-साथ भद्रक आश्रम, स्वर्गदीप और चक्रपाणी जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों का भी सर्वेक्षण किया गया। संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंषिया ने बताया कि इन स्थानों की पहले ही मापी कर ली गई थी, लेकिन अब ASI ने इनका सर्वेक्षण किया और उनका ऐतिहासिक महत्व प्रमाणित किया।
भस्म शंकर मंदिर में मिली तीन टूटे हुए मूर्तियाँ
संभल जिले में एक और महत्वपूर्ण घटना हुई, जब भस्म शंकर मंदिर के कुएं में तीन टूटी हुई मूर्तियाँ मिलीं। यह मंदिर 46 वर्षों के बाद फिर से खोला गया था। मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति और शिवलिंग की पूजा होती थी, लेकिन 1978 में इसे बंद कर दिया गया था। अब, अधिकारियों ने इस मंदिर के पास स्थित कुएं को फिर से खोलने की योजना बनाई है। इस दौरान तीन टूटी हुई मूर्तियाँ मिलीं, जो इस क्षेत्र के प्राचीन धार्मिक इतिहास को दर्शाती हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का महत्व
उत्तर प्रदेश के इन स्थानों पर प्राचीन मंदिरों की खोज और पुनर्निर्माण से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण और पुनर्निर्माण समय की आवश्यकता बन गया है। इन खोजों ने न केवल इतिहास को पुनः उजागर किया है, बल्कि एक नया विश्वास और जुड़ाव भी पैदा किया है, जो समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और एकता को बढ़ावा देता है।
विशेष रूप से बुलंदशहर और संभल जैसे जिलों में इस तरह की घटनाओं ने सामाजिक सौहार्द का एक नया रूप प्रस्तुत किया है। इन मंदिरों की सफाई और पुनर्निर्माण से यह संदेश गया है कि भारतीय समाज अपने सांस्कृतिक धरोहरों को सम्मान देता है और हर समुदाय के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
उत्तर प्रदेश में प्राचीन मंदिरों की खोज और उनकी पुनः सफाई ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, बल्कि इसने पूरे समाज में एकता, शांति और समरसता का संदेश भी दिया है। इन मंदिरों के पुनर्निर्माण से यह स्पष्ट होता है कि हमारे पुरातात्विक और धार्मिक स्थलों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि ये हमारे इतिहास और संस्कृति के अहम भाग हैं। यह प्रक्रिया न केवल हमारे अतीत को जीवित करती है, बल्कि हमारे भविष्य को भी आकार देती है।