ताजा समाचार

Farmers Protest: खनौरी पहुंचे 9 पंजाब मंत्री, डल्लेवाल का आक्रोश—”राष्ट्रपति शासन का डर है”

Farmers Protest: पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर किसानों की मांगों को लेकर अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डाल्लेवाल से बुधवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रदेश अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा सहित आठ मंत्रियों ने मुलाकात की। डाल्लेवाल पिछले 30 दिनों से किसानों के हक में अनशन कर रहे थे। इस मुलाकात में अरोड़ा ने डाल्लेवाल को बताया कि उनकी लड़ाई केवल पंजाब के किसानों की नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों की लड़ाई है। पंजाब सरकार और हर पंजाबी उनके आंदोलन के साथ खड़ा है। उन्होंने डाल्लेवाल से अपील की कि वह अनशन तो जारी रखें, लेकिन उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए चिकित्सा सुविधा का लाभ लें।

अरोड़ा की यह अपील डाल्लेवाल ने ठुकरा दी और कहा कि उनका अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर डॉक्टरों ने डाल्लेवाल का रक्तचाप (BP) मापते हुए चिंता जताई। डॉक्टरों का कहना था कि उनका BP सामान्य से बहुत कम हो गया है, जो कि 100/70 तक पहुंच चुका है, जबकि सामान्य अवस्था में यह 130/95 था। लगातार एक महीने से सिर्फ पानी पीने के कारण उनकी सेहत बहुत खराब हो गई थी।

स्वास्थ्य की चिंता और राष्ट्रपति शासन का डर

मुलाकात के दौरान अमन अरोड़ा ने कहा कि वह खनौरी इस डर से आए हैं कि अगर डाल्लेवाल की हालत बिगड़ती है और उनकी मृत्यु हो जाती है, तो पंजाब के लोग उन्हें अपने घरों से बाहर नहीं निकलने देंगे और इसके परिणामस्वरूप राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। अरोड़ा ने कहा कि सरकार डाल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है और उन्होंने उनकी जान बचाने के लिए यह अपील की थी कि वह चिकित्सा सुविधा का लाभ लें, ताकि उनका शरीर और भी अधिक नुकसान न हो।

Farmers Protest: खनौरी पहुंचे 9 पंजाब मंत्री, डल्लेवाल का आक्रोश—"राष्ट्रपति शासन का डर है"

इसके बावजूद, डाल्लेवाल ने अपनी बात कायम रखते हुए कहा कि उनका अनशन जारी रहेगा, क्योंकि यह उनकी जान का सवाल नहीं, बल्कि पूरे किसान समुदाय की भलाई का सवाल है। डाल्लेवाल ने यह भी कहा कि यह मुलाकात केवल इसलिए की गई थी, ताकि यदि वह मरे तो पंजाब सरकार को दोष न दिया जाए और लोग यह न कहें कि सरकार ने उनकी मदद नहीं की।

कांग्रेस सांसद और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया

कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा के साथ खनौरी पहुंचे अन्य मंत्रियों में गुरमीत सिंह खुडियां, कुलदीप ढिल्लों, डॉ. बलवीर सिंह, ललजीत भुल्लर, हरदीप सिंह मुंडीयां, तरुणप्रीत सिंह सौंध, बरिंदर गोयल और शैरी कालसी शामिल थे। इसके अलावा, कांग्रेस के अमृतसर से सांसद गुर्जीत औजला ने भी डाल्लेवाल से मुलाकात की।

मुलाकात के बाद, किसान नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि डाल्लेवाल ने स्पष्ट किया है कि पंजाब सरकार केवल अपनी चिंता कर रही है, न कि उनकी। उन्होंने कहा, “जहां आप लोग अपनी सरकार की चिंता कर रहे हैं, वहीं पंजाब सरकार के 92 विधायकों ने एक बार भी उन किसानों के साथ खड़ा होना जरूरी नहीं समझा, जिन्होंने मंडियों में धान के दाम में कमी को लेकर आवाज उठाई थी। जब दिल्ली में केजरीवाल सरकार संकट में थी, तब सभी विधायकों ने अनशन किया था, लेकिन अब क्यों चुप हैं?”

सरकार के डर से है मुलाकात का मकसद

डाल्लेवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री केवल इस डर से खनौरी आए हैं कि अगर उनकी मृत्यु हो जाती है, तो लोग उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे और पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस बात का डर है कि उनके मरने के बाद पंजाब के लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और उन्हें घरों से बाहर नहीं निकलने देंगे।

इस दौरान, डाल्लेवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “यह सरकार सिर्फ अपनी चिंताओं को लेकर यहां आई है। वे नहीं चाहते कि अगर मुझे कुछ हो जाता है तो पंजाब की जनता उन पर उंगली उठाए और राष्ट्रपति शासन लागू हो। उनके लिए मेरी जान का कोई महत्व नहीं है, बस उनकी सत्ता का डर है।”

किसान आंदोलन की बढ़ती चिंता

यह घटना पंजाब के किसान आंदोलन को लेकर सरकार की बढ़ती चिंता को उजागर करती है। पिछले कुछ समय से पंजाब में किसान आंदोलन तेज हो गया है, जिसमें सरकार को लगातार किसानों के मुद्दों को लेकर दबाव महसूस हो रहा है। खासकर जब से केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को लेकर विरोध हुआ था, तब से पंजाब में किसानों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है।

आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार किसानों के प्रति अपनी नीतियों में कोई ठोस बदलाव नहीं कर रही है। उनकी मुख्य मांगें बेहतर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और फसलों के उचित मूल्य की हैं। इसके अलावा, किसानों के लिए कृषि कर्ज माफी और फसलों के बर्बाद होने की स्थिति में मुआवजा देने की भी मांग की जा रही है।

आगे की राह

अब सवाल यह उठता है कि क्या पंजाब सरकार और अन्य राजनीतिक दल इस किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे, या फिर यह आंदोलन और तेज होगा। इस समय, डाल्लेवाल का अनशन पंजाब सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है और यह सरकार के लिए राजनीतिक दबाव भी पैदा कर रहा है। फिलहाल, इस आंदोलन को लेकर न तो कोई स्पष्ट समाधान दिखाई दे रहा है और न ही सरकार का रुख स्पष्ट है।

समझा जा सकता है कि किसान आंदोलन की गहराई को देखकर सरकार अब इस मामले को सुलझाने के लिए किसी न किसी तरह का रास्ता तलाशने की कोशिश करेगी, लेकिन यह भी सच है कि सरकार को अभी तक कोई ठोस रणनीति नहीं मिल पाई है, जिससे किसान अपने आंदोलन को समाप्त करने को राजी हों।

यह स्थिति अब पंजाब के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को नए तरीके से प्रभावित कर रही है, और आने वाले दिनों में इस आंदोलन के परिणामों के बारे में कुछ कहना मुश्किल होगा।

Back to top button