हर पांडव के साथ कितने दिन रहती थी द्रौपदी? यहां जानें
महाभारत (Mahabharata) के किस्से जितने रोचक हैं उतने ही रहस्यमयी भी। लेकिन एक ऐसा सवाल जो सदियों से लोगों के दिमाग में घूम रहा है आखिर द्रौपदी (Draupadi) हर पांडव के साथ कितने दिन रहती थी?

महाभारत (Mahabharata) के किस्से जितने रोचक हैं उतने ही रहस्यमयी भी। लेकिन एक ऐसा सवाल जो सदियों से लोगों के दिमाग में घूम रहा है आखिर द्रौपदी (Draupadi) हर पांडव के साथ कितने दिन रहती थी? भाई जब एक पत्नी और पाँच-पाँच पति हों तो टाइम-टेबल तो सेट करना ही पड़ेगा! और महाभारत के इन ‘स्वैग वाले’ पांडवों ने इसे बड़े ही सलीके से मैनेज किया था।
महाभारत में इस घटना के बार में बताया गया कि जब द्रौपदी युधिष्ठिर के साथ थी, तो अर्जुन ने गलती से उनके कक्ष में चले गए थे। इस घटना ने पांडवों के बीच स्थापित नियम और उनकी आपसी मर्यादा का परीक्षण किया। जब द्रौपदी के साथ पांडवों का विवाह हुआ तो यह तय हुआ था कि द्रौपदी एक समय में केवल 1 पांडव के साथ रहेंगी।
द्रौपदी ने पांडव भाइयों के लिए बनाया क्या नियम
इसी वक्त 5 पांडव भाईयों और द्रौपदी के बीच एक नियम बनाया गया। इस नियम के मुताबिक जो पांडव उस अवधि में द्रौपदी के साथ होंगे, उस समय अन्य पांडव उनके निजी स्थान में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। अगर कोई अनजाने में भी ऐसा करता है तो उसे वनवास जाना पड़ेगा। द्रौपदी पत्नी के रूप में हर पांडव भाई के साथ निजी तौर पर एक तय समय तक ही रहती थी।
केवल एक बार कैसे टूटा ये नियम
पहले ये जान लीजिए कि एक बार कैसे ये व्यवस्था टूट गई और तब क्या हुआ। एक दिन अर्जुन को अपने धनुष और तीर की जरूरत पड़ी, ये युधिष्ठिरक कक्ष में रखे थे। तब युधिष्ठिर और द्रौपदी अपने निजी कक्ष में अकेले थे।
अर्जुन ने द्रौपदी और युधिष्ठर की निजता को तोड़ा
अर्जुन को पता था कि उन्हें कक्ष में नहीं जाना चाहिए, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए नियम तोड़कर कक्ष में चले गए। अर्जन ने स्वीकार किया की भले ही उनकी मंशा सही थी, लेकिन उन्होंने नियम तोड़ा है। नियम के मुताबिक उन्हें 12 सालों के लिए वनवास पर जाना पड़ा। यह निर्णय स्वयं अर्जुन ने लिया, क्योंकि पांडवों के बीच आपसी मर्यादा और धर्म का पालन सबसे ऊपर था।
अर्जुन ने खुद को किया स्व निर्वासित
युधिष्ठिर ने अर्जुन के वनवास जाने के निर्णय का सम्मान किया। अर्जुन इस वनवास के दौरान 12 वर्षों तक अलग-अलग स्थानों पर रहे। उन्होंने इसी दौरान उलूपी (नागकन्या), चित्रांगदा, और सुभद्रा से विवाह भी किया। दिव्यास्त्रों का अभ्यास किया। तप करके शिव को खुश किया।
हर पांडव के साथ कितने समय रहती थी
अब आइए जानते हैं कि द्रौपदी ने हर पांडव भाई के साथ पत्नी के तौर पर रहने का समय किस तरह बांधा हुआ था। महाभारत के कुछ संस्करणों और विभिन्न व्याख्याओं में ये कहा गया है कि द्रौपदी के साथ प्रत्येक पांडव के रहने की अवधि 2 महीने और 12 दिन (72 दिन) थी। इससे पूरे वर्ष पांचों पांडवों के साथ द्रौपदी का 360 दिनों का चक्र पूरा हो जाता था।
हालांकि दक्षिण भारतीय और उत्तर भारतीय संस्करणों में इस अवधि में अंतर है। दक्षिण भारतीय महाभारत के संस्करणों और उससे जुड़ी कहानियों में कहा गया कि द्रौपदी हर पांडव के साथ एक एक साल के लिए रहती थी। जब द्रौपदी पत्नी के रूप में किसी पांडव भाई के साथ नहीं भी होती थी, तो भी उसका आचरण तब उनके साथ गरिमापूर्ण और स्नेहमय होता था।
जब द्रौपदी किसी एक पांडव के साथ रहती थी, तब दूसरे पांडव भाइयों के साथ उसका आचरण बहुत संतुलित, मर्यादित, स्नेहमय और सम्मानपूर्ण होता था। तब वह दूसरे पांडवों पर कोई अधिकार नहीं जताती थी न ही उनके व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप करती थी। उसका व्यवहार कभी दूसरे पांडवों के प्रति भेदभावपूर्ण नहीं होता था।
द्रौपदी एक समझदार और बुद्धिमान महिला थीं। जब पांडव किसी कठिनाई या संकट में होते थे, तो वह सभी को एकसमान सलाह और प्रेरणा देती थी। वनवास के समय भी द्रौपदी ने सभी पांडवों को समान भाव से देखा और उनका ख्याल रखा।
पांचों पांडव भाइयों के साथ द्रौपदी के कितने पुत्र
महाभारत में द्रौपदी के पांचों पांडव भाइयों से पांच पुत्र हुए, जिन्हें उपपांडव कहा जाता है। इन पांचों ने महाभारत युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिर अश्वत्थामा के हाथों धोखे से मारे गए, जब रात में अश्वतथामा ने पांडवों के कैंप में घुसकर सोते समय उनकी हत्या कर दी। अब जानते हैं कि किस पांडव भाई से द्रौपदी को कौन सा पुत्र हुआ।
– प्रतिविंध्य (युधिष्ठिर के पुत्र)। उसे युधिष्ठिर का गुणी और धर्मशील पुत्र माना जाता है।
– सुतसोम (भीम के पुत्र)। सुतसोम को भीम की शक्ति और साहस का उत्तराधिकारी माना जाता है।
– श्रुतकीर्ति (अर्जुन के पुत्र)। वह …