सगे भाई के साथ लिव इन रिशलेशन में रह रही थी बहन, कोर्ट ने लगाई फटकार
आज के समय में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन काफी बढ़ गया है। आपको बता दें कि इस रिश्ते में कपल बिना शादी किए ही शादीशुदा लोगों की तरह एक-दूसरे के साथ रहते हैं। लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी हैं जिन्हें आज एक सगे भाई-बहन ने पार कर दिया है।

आज के समय में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन काफी बढ़ गया है। आपको बता दें कि इस रिश्ते में कपल बिना शादी किए ही शादीशुदा लोगों की तरह एक-दूसरे के साथ रहते हैं। लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी हैं जिन्हें आज एक सगे भाई-बहन ने पार कर दिया है।
आज हम आपको एक ऐसा मामला बताने जा रहे हैं, जहां एक व्यक्ति अपनी बहन के साथ ही लिव इन रिलेशन में रहता था। राजस्थान हाईकोर्ट में मंगलवार 5 मार्च को एक अजीब मामले की सुनवाई हुई। जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान हैं।
एक व्यक्ति जो अपनी बहन के साथ लिव इन रिलेशन में रहता था। उसने अपने जीजा के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगा दी। यह मामला जब हाईकोर्ट के सामने आया तो जज भी हैरान रह गए। एक विवाहित बहन अपने भाई के साथ लिव इन में रह रही थी। भाई ने जीजा के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर लगाई फटकार
कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई करते समय याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि नैतिक मूल्य भी कोई चीज है। उनका सम्मान करना सबका दायित्व है। संविधान में बालिग को अपनी मर्जी से जीवन जीने की छूट दी तो इसका मतलब यह नहीं कि विवाहित बहन पति को छोड़कर भाई के साथ लिव इन में रहे। हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका को खारिज कर दिया।
विवाहिता के साथ लिव इन मौलिक अधिकार नहीं
इस याचिका की सुनवाई राजस्थान हाई कोर्ट में जस्टिस चंद्रशेखर और जस्टिस मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ में हुई। जस्टिस ने साफ कहा कि किसी व्यक्ति को विवाहित महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। वह भी उस महिला के साथ जो उस व्यक्ति की सगी बहन लगती हो।
याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपए का लगाया जुर्माना
कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को चार सप्ताह में जमा करानी होगी। यह राशि राजकीय अंध विद्यालय जोधपुर को देने के निर्देश दिए गए। कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने नैतिक दायित्व नहीं भूलने चाहिए। संविधान में कोई अधिकार दिए हैं तो इसका तात्पर्य यह नहीं कि नैतिक दायित्व को ताक पर रख दें।
जीजा पर बहन को बंदी बनाने का आरोप
याचिका लगाने वाले व्यक्ति ने अपने बहनोई पर ही बहन को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाया था। उसका कहना था कि बहनोई ने उसकी विवाहित बहन को अवैध रूप से घर में बंद कर रखा है। उसे वहां से छुड़ाया जाए। याचिकाकर्ता भाई अपनी बहन के साथ लिव इन में रहा और पिछले कुछ समय से बहन जीजा के पास है। भाई चाहता है कि जीजा बहन को उसकी मर्जी से रहने दे।