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Amitabh Bachchan Post: चुप्पी के बाद बोले शहंशाह – अमिताभ ने ऑपरेशन सिंदूर और सेना को दी सलामी

Amitabh Bachchan Post: बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की है। इस ऑपरेशन की सराहना करते हुए अमिताभ बच्चन ने भारतीय सेना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी श्रद्धांजलि दी। दरअसल, अमिताभ बच्चन को पहले पहलगाम आतंकवादी हमले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देने के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब उन्होंने अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की एक प्रसिद्ध कविता को साझा कर अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं।

हरिवंश राय बच्चन की कविता और रामचरितमानस की रेखा

अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया पर अपने पिता की 1965 के युद्ध के दौरान लिखी एक कविता साझा की। इस कविता को उस समय बहुत प्रसिद्धि मिली थी। इसके साथ ही उन्होंने रामचरितमानस के एक प्रसिद्ध संवाद का एक भाग भी लिखा। यह संवाद तुलसीदास जी के रामचरितमानस के लक्ष्मण-परशुराम संवाद से लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि “सुर समर करनी करहीं, कहीं न जनवहीं आप” यानी वीर युद्ध में अपनी वीरता दिखाते हैं, वे इसे बयान करने के लिए नहीं बोलते। यह संदेश यह है कि जो वीर होते हैं, वे कभी अपनी वीरता का बखान नहीं करते, बल्कि वे अपने कार्यों से यह साबित करते हैं।

अमिताभ का सोशल मीडिया पोस्ट वायरल, फैंस ने दी प्रतिक्रियाएं

अमिताभ बच्चन का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। उन्होंने अपनी पोस्ट में दुश्मन के बारे में भी लिखा और वीरता का महत्व बताया। उनके फैंस इस पोस्ट पर लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं और उनके शब्दों की सराहना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके फैंस ने इस पोस्ट को साझा किया और बड़ी संख्या में उन्हें समर्थन दिया। इस पोस्ट के जरिए अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर से अपने पिता की कविता और उनके दृष्टिकोण को याद किया।

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अमिताभ बच्चन ने कविता के महत्व को बताया

अमिताभ बच्चन ने अपनी पोस्ट में बताया कि यह कविता 1965 के युद्ध के संदर्भ में लिखी गई थी, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ विजय प्राप्त की थी। इस कविता को लिखने के लिए उनके पिता हरिवंश राय बच्चन को 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अमिताभ ने कहा कि यह कविता आज से लगभग 60 साल पहले लिखी गई थी, लेकिन इसके विचार आज भी वर्तमान परिस्थितियों में प्रासंगिक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता के शब्द और उनका दृष्टिकोण आज भी उतने ही सशक्त हैं, जितने पहले थे।

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