सत्यखबर, चढ़ीगढ़
रेलवे ने श्रमिकों के स्पेशल ट्रेनों के रूट में बदलाव किया है और इनके रूट को लंबा कर दिया है। ऐसा इन ट्रेनों के गंतव्य पर पहुंचने के बाद उनके खाली होने में काफी अधिक समय लगने के कारण किया गया है। प्रवासी कामगारों को अपने गृह राज्य पहुंचाने के लिए भारतीय रेल ने पटरी पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें को अपने शुरुआती स्टेशन पर और फिर गंतव्य वाले बिहार-उत्तर प्रदेश के स्टेशनों पर आठ-आठ घंटे रुकना पड़ रहा है।
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बता दे की दरअसल, कोरोना संक्रमण से संबंधित प्रोटोकाल की औपचारिकताएं इतनी जटिल हो गई हैं कि उसमें लंबा समय लग जाता है। पहले किसी ट्रेन के पहुंचने के बाद लगभग 20 मिनट में प्लेटफार्म खाली हो जाता था। लेकिन, आठ-आठ घंटे का समय लगने के कारण रेलवे रूट परिवर्तत कर लंबे रूट से गंतव्य को ट्रेनें ले जा रहा है। एसेा इसलिए किया गया हआपरेटिंग सेक्शन को दिक्कत न आए और जब तक संबंधित स्टेशन पर ट्रेन पहुंचे तब तक आपरेटिंग सेक्शन हरी झंडी दे दे। रेलवे बीच रास्ते में पडऩे वाले स्टेशनों पर ट्रेनों को रोकना उचित नहीं समझ रहा।
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1 मई से 1398 ट्रेनें उत्तर प्रदेश जा चुकी हैं, जिनमें 19 लाख 16 हजार 492 यात्री अपने घरों को पहुंचे। इसी प्रकार 1112 ट्रेनों में 14 हजार 45 हजार 600 यात्रियों को बिहार में उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है। हालांकि सामान्य दिनों में ट्रेनों की संख्या इससे भी अधिक होती है। ट्रेन का ठहराव महज दो मिनट से दस मिनट होने के कारण ट्रेन आगे की ओर रवाना हो जाती है और पीछे से दूसरी ट्रेन को हरा सिग्नल प्लेटफार्म पर आने के लिए मिल जाता है। इसके अलावा पार्सल और गुड्स ट्रेनों की संख्या भी उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर ट्रैफिक बढ़ा है।
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