नेशनल ओपन स्कूल में परीक्षा नहीं होने के बावजूद चीटिंग माफिया अब नए तरीके से पैसे वसूल रहा है। स्टडी सेंटर से ट्यूटर मार्क्ड असाइनमेंट यानी टीएमए लगवाने के नाम पर 5 से 6 हजार रुपए तक पैसे वसूले गए। स्टडी सेंटरों में जा दलालों ने खुलेआम चेतावनी दी कि यदि पैसे न दिए तो रिजल्ट रुकवा देंगे। यह सच साबित हुआ।
कई सेंटरों का 10वीं-12वीं के बच्चों का रिजल्ट नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट के बिना परीक्षा के प्रमोट करने के आदेशों को भी नहीं माना गया। इस मामले में नेशनल ओपन स्कूल के नोएडा सेक्टर-62 स्थित मुख्यालय पर स्टूडेंट्स ने पत्थरबाजी व हंगामा किया था। अब सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगाने की तैयारी की जा रही है।
कई प्रिंसिपल ने बताया कि चीटिंग माफिया प्रति छात्र 5 से 6 हजार रुपए मांग रहे थे। अब कोर्ट में अपील की जाएगी और नेशनल ओपन स्कूल के उच्च अधिकारियों से शिकायत करेंगे। बता दें कि नेशनल ओपन स्कूल की 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए 3.67 लाख विद्यार्थियों ने पंजीकरण किया था। हरियाणा में इनकी संख्या करीब 22 हजार थी। बच्चों को 31 जनवरी तक अपनी असाइनमेंट स्टडी सेंटर में जमा करने को कहा था।
कई विषयों की प्रैक्टिकल हो चुकी थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण लिखित परीक्षा रद्द कर दी गई। बोर्ड ने असाइनमेंट के आधार पर लिखित परीक्षा का मूल्यांकन किया और परिणाम घोषित किया। करीब दो फीसदी यानी 7340 परीक्षार्थी फेल हो गए।
यमुनानगर के निजी स्कूल से को-ऑर्डिनेटर रेणु शर्मा ने कहा कि हमारे छात्रों का रिजल्ट वेटिंग में डाल दिया गया। परिणाम से पहले एक सर आए थे, उन्होंने कहा था- पास कराने हैं तो 5 हजार रुपए प्रति बच्चा लगेंगे। आपके स्टूडेंट्स का रिजल्ट तभी आउट होगा, नहीं तो रुकवा देंगे।
नाम न छापने की शर्त पर भिवानी के स्टडी सेंटर संचालक ने बताया कि एजेंट हमारे पास आए थे कि स्टडी सेंटर भी बनवाकर लाएंगे और इतना पैसा स्टूडेंट्स से लेंगे। यहां भी रिजल्ट रोका गया है। एजेंट बोल गए थे कि पैसा नहीं दिया तो रिजल्ट आउट नहीं होगा।
एजेंट ने फोन से मांगे रुपए, नहीं दिया तो रिजल्ट रोका
रोहतक से स्टडी सेंटर संचालक ने बताया कि एजेंटों के फोन आ रहे थे कि प्रति बच्चा 5 हजार रुपए दो, तभी रिजल्ट आएगा। सब पैसे का खेल बना दिया है। अब हम कोर्ट में जाएंगे।
मिलीभगत से चलता है ओपन में पूरा सिस्टम : बल्हारा
करीब 10 साल तक एनआईओएस की परीक्षा के आब्जर्वर रहे जगदीश चंद्र बल्हारा बताते हैं कि पूरा सिस्टम बिगड़ा है। बिना मिलीभगत के कोई काम सिरे नहीं चढ़ता है। खुद सिस्टम में रह देख चुके हैं। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ होता है।
हर परीक्षा के लिए राशि तय की जाती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। माफिया ने नया तरीका निकाल लिया और टीएमए लगवाने के नाम पर पैसा मांगने लगे। अधिकारियों की मिलीभगत बिना कुछ नहीं हो सकता। जब सुप्रीम काेर्ट ने आदेश दे दिया कि बिना परीक्षा के परिणाम जारी कर दिया जाए तो ऐसे में परिणाम रोकने का क्या मतलब है।
चीटिंग माफिया ने फोन पर पिछले माह ऐसे मांगे पैसे
केस-1
संचालक : हेलो, भाई साहब नमस्कार….. स्कूल से बोल रहा था, पहचान लिया।
एजेंट : हां, पहचान लिया
संचालक : रिजल्ट का क्या रहेगा? टीएमए और प्रैक्टिकल सब मिलाकर।
एजेंट : भाई प्रति बच्चा 5 हजार रुपए लेंगे।
संचालक : क्लियर हो जाएगा?
एजेंट : हां क्लियर होगा। आगे से क्लियर करा देंगे।
संचालक : ठीक है भाई साहब।
केस-2
संचालक : हिसार के स्कूल से बोल रहा हूं भाई साहब, कल बात हुई थी।
एजेंट : हां बोलो। ऐसा है 6 हजार रुपए प्रति बच्चा लगेगा।
संचालक : साहब, स्कूल बंद, कौन पैसा देगा। गरीब बच्चे हैं।
एजेंट : भाई 5 हजार तो ऊपर चंडीगढ़ ही लग जाता है, हमें तो एक हजार ही बचेगा। ठीक लगे तो फोन कर लेना।
संचालक : इसके सिवाय कोई पास नहीं होगा क्या?
एजेंट : कोई नहीं होगा पास बिना पैसे। जिसकी सेटिंग नहीं होगी, कोई पास नहीं होगा।
संचालक : जायज कर लेते।
एजेंट : आप बच्चे से 7-8 हजार ले लो, हमें 6 दे देना।
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