सत्य खबर, दिल्ली
किसान नेताओं का आरोप है कि आंदोलन में फूट डालने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं। किसान संगठन के नेताओं को आगे आकर एकजुटता पर जोर देना पड़ रहा है। किसान नेताओं का कहना है कि किसानों के पास कंप्यूटरीकृत कॉल पहुंच रही है, जिसमें कृषि कानूनों के फायदेमंद बताकर आंदोलन को गलत साबित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें किसान नेताओं को अब सरकार के साथ खड़ा बताकर बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। किसी को इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देना है और आंदोलन को ऐसे ही मजबूत बनाए रखना है।
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कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर नेशनल हाईवे 44 के कुंडली बॉर्डर पर किसान सर्दी व बारिश में डटे हैं। सरकार व किसानों के बीच लगातार बातचीत हो रही है लेकिन बावजूद इसके कोई फैसला अभी तक नहीं हो सका है।
वहीं अब जिस तरह से किसानों के मोबाइल पर कॉल आ रही हैं और किसान नेताओं को लेकर प्रचार किया जा रहा है, उससे किसान नेताओं को लगने लगा है कि सरकार अब किसानों को झुकता नहीं देखकर फूट डालकर आंदोलन को तोड़ने में लगी है। बुधवार को किसान नेताओं ने पूरा दिन यह संशय दूर किया कि कोई किसान नेता सरकार के साथ नहीं खड़ा है और सभी किसान संगठन एकजुट होकर कानून रद्द कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
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