सत्यख़बर डेस्क
मेरठ के खरखौदा की एक बस्ती में बुधवार को ऐसा विवाह हुआ जिसके बारे में आपने न कभी देखा होगा ना कभी सुना होगा। यहां पर लगभग 17 वर्ष पहले स्वर्ग सिधार गए चार बच्चों का विवाह धूमधाम से किया गया। इसमें दो लड़कियां थीं और दो लड़के। वर वधु की जगह मृतक बच्चों की तस्वीर रखी गईं और उनका पूरा प श्रंगार किया गया। बाकायदा बारात निकाली गई और खाना पीना, नाच-गाना भी हुआ। मौत के वक्त बच्चों की उम्र पांच और छह वर्ष की थी
उल्धन गांव की मंढैया में नट बस्ती है। बस्ती में बुधवार को अनोखा विवाह हुआ । यहां के राजबीर की लड़की रूपा की मृत्यु करीब 17 वर्ष पहले पांच वर्ष की उम्र में हो गई था। राजबीर के पड़ोसी मुनेश की लड़की पायल की मृत्यु भी इसी दौरान हुई थी।दूसरी ओर, भावनपुर के आलमपुर गांव मैं रहता गोविंदा और अक्षय के बेटे की मौत भी छह वर्ष की उम्र में हो गई थी। बुधवार को आलमपुर गांव से बाराती दोनों मृत बच्चों की तस्वीर को दूल्हे की तरह सजाकर मंढैया पहुंचे। यहां दोनों लड़कियों के परिवारों में विवाह की रश्में निभाई गईं। ढोल और नगाड़े का इंतजाम किया गया था और पंडाल लगाकर दावत की भी व्यवस्था की गई। पूरी बस्ती के साथ परिवार जनों को भी इसमें बुलाया गया। चढ़त हुई तो बाराती दोनों बच्चों की तस्वीरें पर सेहरा लगाकर पहुंचे। वहीं बच्चियों की तस्वीर दुल्हन के रूप में सजाकर शादी की रस्में पूरी की गईं। इसके बाद बारातियों और रिश्तेदारों ने खाना खाया
कई वर्षो से चल रही है परंपरा
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जब दोनों परिवारों के मुखिया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे यहां यह वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। जब किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो उसके बालिग होने पर उनकी इलाके की मृत बच्चियों से शादी की जाती है। इसके लिए लड़कियों की तलाश दुल्हन की तरह ही की जाती है। कार्यवाहक थानाध्यक्ष रवि चंद्रवाल ने ऐसी किसी शादी की जानकारी से अनभिज्ञता जताई
बारात में शामिल बुजुर्गों का कहना है कि यह परंपरा कई वर्ष पहले से चली आ रही है। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्यों कि उनका मानना है कि बचपन में भगवान को प्यारे होने वाले बच्चे हमेशा उनके साथ रहते हैं। उनकी शादी भी उसी उत्सुकता से इंतजार किया जाता है जितना कि जीवित लोगों की शादी का। इसकी तैयारी भी काफी समय पहले सी होती है।
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