कहा: धरतीपुत्र अन्नदाता पर भाजपाई कुठाराघात कब रुकेगा
सत्य खबर, जींद, महाबीर मित्तल: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जींद में पत्रकारों से बातचीत में कोरोना महामारी के घोर संकट में भी किसान अपनी मेहनत से रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कर देश की डूबती अर्थव्यवस्था को भी थामे हैं और देश के खाद्यान्न जरूरतों को भी पूरा कर रहा है। इसके बावजूद मोदी सरकार किसान के खेत खलिहान पर लगातार वार कर रही है। खरीफ फसलों का किसान हित विरोधी एमएसपी निर्धारण भी इसी का हिस्सा है। देश में मुद्रास्फीति यानि महंगाई की दर 6.2 प्रतिशत है, पर खरीफ फसलों की एमएसपी में औसत बढ़ोत्तरी 3.7 प्रतिशत है। देश में औसत महंगाई दर 6.2 प्रतिशत है। किसान के लिए तो यह महंगाई दर 20 प्रतिशत है। इसका अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 13 महीने में अकेले किसान के ईंधन, डीज़ल की कीमत 23.93 रूपए प्रति लीटर बढ़ा दी गई।
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मोदी सरकार ने सात साल में अकेले डीज़ल पर 820 प्रतिशत एक्साईज़ ड्यूटी बढ़ाई है। यही नहीं, खाद पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया, कीटनाशक दवाई पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया और ट्रैक्टर तथा खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया। खाद और कीटनाशक दवाईयों की कीमतों में सरकार के सात सालों में लगभग 100 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने कहा कि बिजली-कृषि उपकरणों की कीमतें बढ़ा खेती की लागत लगभग 20,000 रूपए प्रति हेक्टेयर बढ़ा दी है। इसके विपरीत, खरीफ फसलों की औसत वृद्धि 3.7 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि ताजा घोषित खरीफ फसलों की कीमतों को देखें तथा ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ द्वारा बताई गई प्रांतों में फसलों की उत्पाद कीमतों से मुकाबला करें, तो साफ है कि मोदी सरकार खरीफ फसलों की कीमतों का निर्धारण करते हुए किसान को लागत मूल्य भी नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार असलियत कम और अखबार की सुर्खियां बनाने में ज्यादा विश्वास रखती है। सच यह है कि एक सोचे समझे षडयंत्र के तहत सरकार एमएसपी पर फसल खरीदी कम कर रही है, ताकि धीरे-धीरे एमएसपी ही खत्म हो जाए।
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इसका सबूत सामने है। मोदी सरकार ने साल 2020-21 में एमएसपी पर 389.93 लाख टन गेहूं खरीदा। पर चालू साल में 30 अप्रैल, 2021 तक (साल 2021-22 में) एमएसपी पर खरीदे जाने वाले गेहूं की मात्रा कम कर 271 लाख टन कर दी। यानि चालू साल 2021-22 में पिछले साल 2020-21 के मुकाबले एमएसपी पर 118.93 लाख टन गेहूं कम खरीदा गया। इसी प्रकार 2019-20 में एमएसपी पर 519.97 लाख टन धान खरीदा गया। पर 2020-21 में मोदी सरकार ने एमएसपी को कमजोर करने के लिए एमएसपी पर मात्र 481.41 लाख टन धन ही खरीदा, जो 38.56 लाख टन कम था। इस प्रकार से एमएसपी को खत्म करने की साजिश की जा रही है।
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प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना का साधारण नाम भावांतर योजना भी है। बार बार यह कहा गया कि अगर किसान को मूल्य नहीं मिलेगा, तो फिर या तो सरकार इस स्कीम में खरीद करेगी या फिर किसान को न्यूनतम मूल्य और बाजार भाव के बीच की राशि किसान के खाते में डाली जाएगी परंतु मोदी सरकार ने इस स्कीम का बजट ही काट दिया। साल 2019-20 में पीएम आशा का बजट 1500 करोड़ था, जो साल 2020-21 में कम करके सिर्फ 400 करोड़ कर दिया गया। यानि 1100 करोड़ की कटौती कर दी। अब भी समय है कि किसान की एमएसपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने किए वादे के अनुरूप लागत$ 50 प्रतिशत मुनाफा पर दें तथा अन्नदाता किसान के खिलाफ बनाए तीनों काले कानून खत्म करें। वरना वह दिन दूर नहीं, जब देश का अन्नदाता वोट की चोट से भाजपा सरकार को उखाड़ कर फेंक देगा।
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