सत्यखबर, पंचकूला
किसानों के आगे सरकार आज पूरे दबाव में नजर आई। 26 जून को किसान आंदोलन को 7 महीने का वक्त पूरा हो चुका है, इस मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए देश के किसानों से आह्वान किया कि वो अपने-अपने राज्यों में राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे। ऐसे में तय कार्यक्रम के मुताबिक दिन का सूरज निकलते ही भारी संख्या में हरियाणा के किसान नाडा साहिब गुरुद्वारा पंचकूला में इकट्ठा होना शुरू हो गए। जिसने पूरे चंडीगढ़ और पंचकूला प्रसाशन में हड़कंप मचा दिया। और इस दौरान जैसे जैसे किसानों की संख्या बढ़ती गई वैसे वैसे प्रशासनिक अधिकारियों के पसीने छूटने लगे। जिसका पूरा असर सरकारी अमले पर देखने को भी मिला। और हजारों की संख्या में किसानों को देख प्रसाशनिक अधिकारी नाडा साहिब गुरुद्वारे में ही पहुंच गए। और वहीं उनका ज्ञापन लेने की बात कही। लेकिन किसान राजभवन जाने की अपनी जिद्द पर अड़े रहे।
बैरिकेट्स तोड़ आगे बढ़ते किसान
जैसे ही किसान पैदल मार्च करते हुए राजभवन के लिए रवाना हुए तो पुलिस के इंतजाम एक बार को हवा-हवाई होते नजर आए। पैदल मार्च कर रहे किसानों की भीड़ को देखते हुए पुलिस की किलेबंदी फेल हो गई। किसानों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस को बैरिकेड्स हटाने पड़े। जिसके बाद किसान पैदल मार्च करते हुए आगे बढ़ गए। इसके बाद किसान चंडीगढ़ की तरफ पैदल मार्च करते हुए आगे बढ़ने लगे। इस बीच चंडीगढ़ और पंचकूला की सीमा पर प्रसाशनिक अधिकारियों और किसान नेताओं के बीच बातचीत हुई। अधिकारी किसानों से प्रदर्शन नहीं करने की अपील कर रहे थे। प्रशासन की और से किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल को ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन ले जाने की पेशकश भी की गई थी। इससे पहले किसान राजभवन पहुंचते। राज्यपाल के ADC ने खुद बॉर्डर पर आकर किसानों से ज्ञापन ले लिया। जिसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के लोग वहां से बिजली वितरण निगम का घेराव करने के लिए लौट गए।
जब किसान शक्ति भवन पहुंचे तो वहां भी अधिकारियों में हलचल मच गई और उन्होंने किसानों की मांगे मानने की बात कहते हुए किसानों के साथ दो घंटे की मैराथन बैठक की। जिसमें किसानों ने ट्यूब्वैल कनेक्शन, खेतों में लगने वाले बिजली के टावर के क्लैम समेत थ्री स्टार मोटर जैसे कई मुद्दे रखे। जिनको लेकर अधिकारियों ने सरकार से बात करने के बाद 5 जुलाई को दोबारा बैठक करने की बात कही।
बहरहाल दिन भर के प्रकरण को देखते हुए कही ना कहीं ये अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता है कि किसानों के आगे सरकार पूरी तरह से चित नजर आई। और एक बार फिर पुलिस प्रसाशन के किसानों को रोकने के प्रबंध फेल साबित हुए। अब ऐसे में देखना ये होगा कि शक्ति भवन के अधिकारियों ने किसानों को जो आश्वासन उनकी मांगों को लेकर दिया है। वो उन पर खरे उतर पाते हैं या नहीं, और अगर इन अधिकारियों का ये अश्वासन सिर्फ आश्वासन ही निकलते हैं तो फिर इसको लेकर किसान आगे की क्या रणनिति बनाते हैं। ये देखने वाली बात होगी।
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