सत्यखबर
किसी अपराध को लेकर 46 साल के ताराचंद को 3 साल पहले मेरठ की जेल में भेजा गया था। लेकिन उन्होंने बाहर निकलने पर दाढ़ी बढ़ा ली थी। और नाम भी ताहिर रख लिया था। जिससे देख आस पास में पूरा बवाल मच गया और हिंदूवादी संगठनों ने दबाव में धर्मांतरण का आरोप लगाया, जिसके बाद ताराचंद को अपनी दाढ़ी कटवानी पड़ी।
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जानकारी के मुताबिक जेल के अंदर ताराचंद की दोस्ती अन्य कैदियों से हो गई। इनमें से कुछ मुस्लिम भी थे, जिन्होंने बाहर निकलने में मदद की। वहीं ताराचंद ने कहा कि मैं मंदिर और मस्जिद दोनों जगह जाता हूं। इसमें बुराई क्या है? भगवान तो दो नहीं हो सकते। ये सिर्फ एक ही है। इससे क्या फर्क पड़ता है कि हम कौन सा तरीका अपनाते हैं।’ कथित धर्मांतरण की बात फैलने पर लोगों ने विरोध शुरू किया।
ताराचंद ने परिवार की तरफ से अकेला छोड़ दिए जाने की बात कहते हुए कहा कि मैं 43 महीने तक जेल में रहा। मेरे परिवार में कोई भी शख्स मदद के लिए आगे नहीं आया। उस्मान और उनके दोस्तों ने मेरी मदद की। केस लड़ने के लिए फंड इकट्ठा किए। मैंने उस्मान और बाकी लोगों के साथ वक्त बिताया। साथ में नमाज भी पढ़ा। मैंने उनकी तरह से दाढ़ी भी बढ़ा ली लेकिन कभी धर्मांतरण नहीं करवाया।’
बहरहाल जेल प्रशासन ने भी परिसर में धर्मांतरण की किसी भी तरह की घटना से इनकार किया है। किठौर इलाके के सीओ ने कहा कि उन्होंने जेल परिसर में कानूनी तौर पर धर्मांतरण नहीं कराया। साथ ही किसी अन्य धर्म को अपनाने की बात भी खारिज की है। बावजूद इसके ताराचंद के जेल से बाहर आने पर उनकी बढ़ी हुई दाढ़ी और बदला नाम देख जमकर बवाल हुआ।
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