सत्यखबर
कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणणदीप सिंह सुरजेवाला ने महंगाई को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘महंगाई से मुंह मत मोड़ो और कम नहीं कर सकते, तो कुर्सी छोड़ो’। आज आम जनता से हम आजाद भारत की सबसे संवेदनहीन और सितमगर सरकार के सरोकार पर बात करने आए हैं। कहते हैं कि जब सत्ता में लूट के किरदार बैठ जाएं, तो जनता की आमदनी कम और दिन महंगे हो जाते हैं। आज देश में मोदी सरकार सिर्फ सत्ता की भूख मिटा रही है और 140 करोड़ देशवासियों की आमदनी लूटती जा रही है।
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वायदा था मिनिमम गवर्मेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस का, पर हुआ उसके विपरीत – मैक्सिमम गवर्मेंट, जीरो गवर्नेंस। आज देश में वाहनों का तेल यानी पेट्रोल 100 रुपए पार हो गया, खाने का तेल 200 रुपए पार और खाना पकाने का तेल यानी रसोई गैस 850 रुपए पार, ऐसी रही बेशर्म और महंगी मोदी सरकार। केन्द्र की भाजपा सरकार ने प्रजातंत्र की परिभाषा ही बदल दी है। जनता को महंगाई की आग में झोंक कर अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की आमदनी को मोदी सरकार नोच रही है और बस अपने धन्ना सेठ दोस्तों की सोच रही है। अब तो डायन महंगाई भी भाजपाइयों को अप्सरा सी नजर आने लगी है। पेट्रोल-डीजल की लूट के कुछ तथ्य देखें।
1 आज दिल्ली सहित देश के लगभग 200 शहरों में पेट्रोल 100 को पार हो गया और डीजल 90 रुपए प्रति लीटर को छू गया। 1 जनवरी, 2021 से 7 जुलाई, 2021 तक ही मोदी सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतें 69 बार बढ़ाई हैं।
2 अप्रैल, 2014 से जून, 2021 तक पेट्रोल-डीजल की एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर पेट्रोल-डीजल की लूट से मोदी सरकार ने, चौंकिए मत, 25 लाख करोड़ रुपए अपनी जेब में, अपने खजाने में डाल लिया है।
3 मोदी सरकार ने 7 सालों में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 258 प्रतिशत और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 820 प्रतिशत बढ़ा दी है। मई, 2014 में जब मोदी जी ने सत्ता संभाली, तो पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी थी 9 रुपए 20 पैसे प्रति लीटर, जिसमें अब तक 23 रुपए 78 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी के बाद 32 रुपए 98 पैसे हो चुकी है। मई, 2014 में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी थी 3 रुपए 46 पैसे प्रति लीटर, जिसमें अब 28 रुपए 37 पैसे प्रति लीटर बढ़ोतरी हो गई है -। साल 2014 – 15 में जब मोदी जी ने सत्ता संभाली, तो एक्साइज ड्यूटी की कलेक्शन सालाना थी 99 हजार 68 करोड़ थी और जो साल अब जो खत्म हुआ है 2020-21, उसमें पेट्रोल-डीजल की एक्साइज से लूट की कलेक्शन है -4,53,812 करोड़ रुपए। ये अंतर है साथियों।
4 अकेले कोरोना काल में ही कोरोना की महामारी में जब लोग ऑक्सीजन के बगैर सांसें सिसक-सिसक कर टूट रही थी। जब परिवारजन मर रहे थे। जब लोग मारे-मारे अस्पताल के बेड के लिए फिर रहे थे, तो मोदी जी पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी बढ़ा रहे थे। अकेले कोरोनाकाल में मोदी जी ने 13 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल पर और 16 रुपए प्रति लीटर डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है। पिछले दो महीने की अगर मैं बात करुं, तो पिछले 2 महीने में पेट्रोल की कीमत 9 रुपए 81 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दी और डीजल की कीमत 8 रुपए 80 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दी है।
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस-यूपीए सरकार के मुकाबले मोदी सरकार के 7 साल में अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दाम साल दर साल घटते गए और पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते गए। ये एक चार्ट है, जो मैं आपको रिलीज कर रहा हूं, 2010-11 से 2020-21 का। इस चार्ट से ये साफ है कि यूपीए के कार्यकाल में जब सरकार हमारी गई, तो आखिरी रेट थे 105 औसत थी, 105 डॉलर 52 सेंस प्रति बैरल और 2020-21 में ये पिछले 30 साल में सबसे कम होकर रह गया 42 डॉलर प्रति बैरल। आज 74-75 है, पर औसत साल की मैंने लगाई है, तो 42 डॉलर प्रति बैरल है। तो कच्चे तेल के दाम घटते गए और मोदी जी के पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते गए।
मोदी सरकार के चाल-चेहरे और चरित्र को एक ही वाक्य में परिभाषित किया जा सकता है – ‘बेरोजगारी और महंगाई से बैर नहीं, प्रगति और तरक्की की खैर नहीं’ और इसलिए आज जब दिल्ली में 100 रुपए का आंकड़ा पहली बार आजादी के बाद पेट्रोल पार कर गया और डीजल देश में 73 साल में सबसे अधिक ऊंचाई पर 90 रुपए लीटर पहुंच गया, तो हम मोदी सरकार को यही कहेंगे कि कीमतें कम करो या कुर्सी खाली करो।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों को लेकर पूछे एक प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि इसीलिए आदरणीय मित्र, हमने अंतर्राष्ट्रीय बाजार के कच्चे तेल की औसत आपको कही और मैं साल दर साल के औसत पढ़कर बताऊँगा। 2010-11 में कच्चा तेल कांग्रेस कार्यकाल में था, 85 डॉलर प्रति बैरल। 2011-12 में हो गया, 111 डॉलर प्रति बैरल, 2012-13 में 107 डॉलर प्रति बैरल, 2013-14 में 105 डॉलर प्रति बैरल, 2014-15 में जैसे ही मोदी जी आए, याद करिए वो कहा करते थे- मेरा भाग्य बड़ा अच्छा है, 84 डॉलर प्रति बैरल हो गया, उसके बाद 2015-16 में 46 डॉलर प्रति बैरल, 2016-17 में 47 डॉलर प्रति बैरल, 2017-18 में 56 डॉलर प्रति बैरल, 2018-19 में 69 डॉलर प्रति बैरल, 2019-20 में 60 डॉलर प्रति बैरल और 2020-21 में 44 डॉलर प्रति बैरल, जो सबसे कम है, पिछले 20 से 25 साल में।
तो कच्चा तेल कम होता गया और कीमती बढ़ती रही, इसलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आह्वान दिया था, सोनिया गांधी के नेतृत्व में और 7 जुलाई, यानि आज से 17 जुलाई तक वो साइकिल मार्च हो, वो धरने प्रदर्शन हो, अलग-अलग किस्म के आंदोलन हमारे अग्रिम संगठन और प्रदेश कांग्रेस की इकाई, हर ब्लॉक, हर जिले में इस तेल की मार और महंगाई की मार के खिलाफ कर रहे हैं। हमारा नारा केवल ये है मोदी से ‘कीमतें कम करो, या कुर्सी खाली करो’।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि ये मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं, ये सत्ता की भूख का विस्तार है। अगर मंत्रिमंडल का विस्तार हो, तो वो परफॉर्मेंस के आधार पर हो, गवर्नेंस के आधार पर हो और अगर परफॉर्मेंस और गवर्नेंस दो क्राइटेरिया होते, तो सबसे पहले स्वास्थ्य मंत्री को हटा दिया जाना चाहिए, डॉ हर्षवर्धन को, जो हमारी मांग रही है। उसके बाद उससे भी पहले, धर्मेंद्र प्रधान को हटाना चाहिए जिन्होंने पेट्रोल और डीजल की लूट से 25 लाख करोड़ रुपए के बोझ के तले देश की जनता को डाल दिया। जो हमारे खाद्य मंत्री हैं, उनको हटाया जाना चाहिए, जिन्होंने देश को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया कि गरीब के लिए खाद्यान्न नहीं, पर शराब की डिस्ट्रीलरीज को आप 1 लाख टन के करीब चावल दे रहे हैं जो गरीब के लिए आरक्षित है औऱ उन सबसे पहले वित्त मंत्री को हटाय़ा जाना चाहिए, क्योंकि वो वित्त मंत्री जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को, जिसे सरदार मनमोहन सिंह की कांग्रेस की सरकार आठ प्रतिशत की जीडीपी बढ़ोतरी दर पर छोड़कर गई थी, उसे घटाकर माइनस आठ प्रतिशत पर ला दिया। अगर परफॉर्मेंस और गवर्नेंस आधार है, तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी को हटाया जाना चाहिए, जिनके कार्यकाल के अंदर चीन ने भारत की सरजमीं पर कब्जा कर रहा है, पर कुछ हो नहीं रहा। अगर परफॉर्मेंस और गवर्नेंस आधार है, तो गृह मंत्री अमित शाह को हटाया जाना चाहिए, जिनकी सरपरस्ती में औऱ जिनकी नाक के नीचे आमतौर से नक्सलवाद हो या उग्रवाद, वो चारों तरफ फैला हुआ है और पाकिस्तान जो है, उसका साहस इतना बढ़ गया कि वो हर रोज उग्रवादियों को देश में धकेलते हैं और गृहमंत्री कुछ कर नहीं सकते उल्टा हर रोज कहीं न कहीं मोब लिंचिंग हो रही है। अगर परफॉर्मेंस और गवर्नेंस आधार है, तो फिर प्रधानमंत्री को ही हटा दिया जाना चाहिए, सच्चाई ये है क्योंकि आपके समेत, प्रेस की आजादी के समेत नॉर्थ कोरिया के और मिलिट्री शासकों के साथ आवाज दबाने में अगर किसी सरकार का आज नाम आता है, तो वो मोदी सरकार का आता है, इसलिए ये परफॉर्मेंस और गवर्नेंस नहीं, ये सत्ता की भूख का विस्तार है।
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