A girl of such a gram was born in premature delivery
सत्यखबर, नई दिल्ली।
पुणे में एक चाइल्ड केयर अस्पताल में एक ऐसी बच्ची का जन्म हुआ जिसका वजन सिर्फ 400 ग्राम था. इस बच्ची का नाम शिवन्या है. शिवन्या का जन्म मात्र 24 हफ्ते या 6 महीने में ही हो गया था. जन्म के समय शिवन्या का वजन दूध की आधे लीटर की थैली के बराबर था. इतने कम वजन के चलते शिवन्या का नाम रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया गया है. डॉक्टर्स ने बताया कि शिवन्या का जन्म समय से पहले हुआ जिसे आम भाषा में प्रीमैच्योर डिलीवरी भी कहा जाता है. इसी प्रीमैच्योर डिलीवरी के चलते शिवन्या भारत में पैदा होने वाली सबसे छोटी बच्ची है.
डॉक्टर्स ने बताया कि शिवन्या को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है. शिवन्या अपने माता-पिता के साथ वाकड में रहती है और वह अब स्वस्थ है और धीरे-धीरे बढ़ रही है.A girl of such a gram was born in premature delivery
शिवन्या का जन्म 21 मई 2022 को हुआ था. प्रीमैच्योर डिलीवरी के चलते शिवन्या को 94 दिनों के लिए डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया जिसके बाद 23 अगस्त 2022 को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. शिवन्या को जब अस्पताल से छुट्टी मिली तो उसका वजन 2,130 ग्राम (2 किलो 13 ग्राम) था. डॉक्टर्स ने बताया कि इस तरह के बच्चों की जीने की संभावना 0.5 फीसदी से भी कम होती है. जिन बच्चों का जन्म प्रेग्नेंसी के 37 से 40 हफ्तों के बाद होता है उनका वजन कम से कम 2,500 ग्राम (2.5 किलो) तक होता है.
शिवन्या के पिता ने बताया कि, अब वह बाकी हेल्दी नवजात शिशुओं की तरह ही है. उसका वजन 4.5 किलो हो गया है और वह अच्छे से खाना भी खा रही है.
पुणे स्थित, सूर्या मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल के चीफ नोनटोलॉजिस्ट डॉक्टर सचिन शाह ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, अगर हम प्रेग्नेंसी पीरियड और जन्म के समय के वजन को जोड़ते हैं तो शिवन्या काफी ज्यादा छोटी है. डॉक्टर ने यह भी बताया कि जिस तरह शिवन्या की ये प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई है और वह एकदम स्वस्थ है, यह भारत का पहला मामला है. आमतौर पर समय से पहले जन्मे बच्चों के बचने की उम्मीद काफी कम होती है.
डॉक्टर्स का कहना है कि मां में जन्मजात असमानताओं के चलते शिवन्या की प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई. डॉक्टर्स ने बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान शिवन्या की मां के दो यूट्रस थे. डबल यूट्रस एक काफी दुर्लभ जन्मजात असमानता होती है. इस स्थिति में किसी महिला के भ्रूण में, गर्भाशय दो छोटी नलियों के रूप में बंट जाता है और इन दोनों नलियों में से एक नली का साइज दूसरी ली की तुलना में काफी छोटा होता है. शिवन्या की मां के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.A girl of such a gram was born in premature delivery
शिवन्या की मां के भ्रूण में भी गर्भाशय दो छोटी नलियों में बंट गया और शिवन्या दोनों नलियों में से छोटी नली में बड़ी हुई जिसके कारण उसका जन्म मात्र 24 हफ्तों में ही हो गया. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जिन भी बच्चों की प्रीमैच्योर डिलीवरी होती है- खासतौर पर जिन नवजात शिशुओं का वजन 750 ग्राम से कम होता है वह काफी नाजुक होते हैं और उनकी देखभाल बाहर भी वैसे ही करनी पड़ती है जैसे भ्रूण के अंदर की जाती है.
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