Adampur seat is not easy for Kuldeep, the opponent is sitting waiting, Kalesh will cut his bar
सत्य खबर, चंडीगढ़
कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी जॉइन कर लिया है और अब वो उस पार्टी में आ चुके है जिसे वो झूठों और गद्दारों की पार्टी बताया करते थे। हालांकि ये सियासी बयानबाज़ी होती है जिसे आमतौर पर सियासी नेता मौका और नजाकत के हिसाब से इस्तेमाल करते रहते है, लोग भी इन बातों को सीरियसली नहीं लेते। वैसे भी हरियाणा में लोगो को पार्टियों की नैतिकता से कोई लेना देना नही होता है। नेता कांग्रेसी हुआ तो समर्थक कांग्रसी और नेता भाजपाई हुआ तो समर्थक भी भाजपा के कसीदे पढ़ने लगते है।
इस्तीफा देने के साथ ही कुलदीप बिश्नोई ने ये इच्छा जता ही दी है कि वो चाहते हैं कि उनका बेटा भव्य चुनाव लड़े। इसके दो मतलब निकलते हैं कि वो भाजपा से डील करके अपनी ये इच्छा बता रहे हों या फिर भाजपा को इसके लिए अभी तक मना ही रहे हों लेकिन बीजेपी जॉइनिंग के समय भी एक अजीब घटना घटी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बीजेपी महासचिब को बताया कि कुलदीप बिश्नोई का एक लड़का है जो थोड़ा थोड़ा राजनीति सीख रहा है।कुलदीप से मुख्यमंत्री पूछ बैठे की “kya naam hai ladke ka” अब सवाल उठता है कि जब मुख्यमंत्री को कुलदीप बिश्नोई के बेटे का नाम भी नही पता है ऐसे में बीजेपी किसी नैसिखिये को टिकट कैसे दे देगी। कही बीजेपी को मनातें रह जाए नौर बीजेपी भव्या को टिकट देने से ही मना कर दे। लेकिन ये तो तय है कि उपचुनाव होगा। कुलदीप बिश्नाई लड़ें या भव्य बिश्नोई लड़ें एक ही बात है। मुख्य बात तो यह है कि हरियाणा में तो पंच के चुनाव में भी समीकरण बनते हैं तो ये फिर उपचुनाव है तो रंग तो जमना ही है। आदमपुर में अब भाजपा के पास मौका है कि वो अपनी सीटों का आंकड़ा चालीस से इक्तालीस कर ले और जजपा को थोडा प्रेशर में ले ले।लेकिन बीजेपी के लिए जितना ये आसान दिखता है उतना आसान है नही । वो लोग जो अभीतक कुलदीप बिश्नोई की वज़ह से कांग्रेस छोड़ बीजेपी में गए थे उनका फिर से कांग्रेस में आना शुरू हो सकता है।
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इनमे बड़ा नाम है संपत सिंह का । कुलदीप के कांग्रेस में आने के बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली थी। अब एक बार फिर वो कांग्रेस में आ सकते है। वैसे भी भूपेंद्र हुड्डा के साथ अच्छी बना करती है। हो सकता है वो आदमपुर से कुलदीप बिश्नोई के सामने उम्मीदवार भी हो सकता है। वैसे भी काँग्रेस की तरफ से जिन दो नामो की चर्चा है उनमें दो बड़े नाम संपत सिंह और जयप्रकाश का है। हालांकि संपत सिंह की आदमपुर से चुनाव लड़ने में की इच्छा न के बराबर ही है। लेकिन अगर बीजेपी छोड़कर आते है तो जोभी वहा से लड़ेगा । उसको वो मदद जरूर पहुँचा सकेंगे। वही दूसरा नाम जो कुलदीप को तगड़ी चुनौती दे सकता है वो है जयप्रकाश । जय प्रकाश हिसार के पुराने खिलाड़ी है । ऐसा कोई गॉव नही जहा उनके वर्कर न हो। यही वजह थी कि 2009 के विधानसभा चुनाव में जयप्रकाश ने कुलदीप बिश्नोई।को छठी का दूध पिला।दिया था। कुलदीप हारते हारते बचे थे। वैसे जयप्रकाश चाहते भी है क्योंकि उनको पता है जीत भले ही ना मिले हाइप जरूर मिलेंगी और उनके जो तेवर कलेवर हैं उसे देखते हुए लगता है कि उनके जीवन का मकसद ही चर्चा में बने रहना है। चुनाव लड़कर वो अपने बेटे विकास के लिए कलायत टिकट का जुगाड़ कर सकते हैं। जो अगला नाम है जो अभी बीजेपी में है लेकिन काँग्रेस में जा सकते है वो है सतेंद्र सिंह का। सतेंद्र को आदमपुर के लोग डार्क हार्स के रूप में नाम ले रहे है । वो कांग्रेस से टिकट लेंगे या आम आदमी पार्टी से ये तो वक्त बताएगा लेकिन इतना सुनने में आ रहा है वो हर हाल में चुनाव लड़ेंगे ही। चौधरी भजनलाल ही उनको राजनीति में लेकर आए थे और उनके साथ एक पॉजिटिव प्वाइंट ये भी है वो हलके के स्थानीय निवासी हैं। ज्यादा जनसंपर्क है लोगों के साथ हालांकि ये सब भविष्य के गर्भ में है कि भूपेंद्र हुड्डा उनको अपनी पार्टी में लाकर टिकट दिलाने का साहस ले पाएंगे या नही ये तो वक्त बताएगा
अब कुलदीप बिश्नोई के लिए इस चुनाव में चैलेंज क्या क्या हैं? इस पर भी बात कर लेते हैं। चेलेंज है बहुल लंबे समय से सत्ता से बाहर रहना, लोगों से कट जाना और हर बार भावनाओं को कैश करके वोट मांगना? हालांकि आदमपुर के लोगों ने हमेशा भजनलाल परिवार पर विश्वास जताया है लेकिन सवाल यही है कि आखिर लोग कब तक ऐसा करते रहेंगे? जो आदमी मुख्यमंत्री की लड़ाई लड़ने का सपना दिखाते हुए चुनाव जीतता रहा हो वो केवल खुद या बेटे को मंत्री बनाने का सपना दिखाकर लोगों को कैसे समझा सकता है बस यही चैंलेज कुलदीप बिश्नोई के सामने इस चुनाव में आएगा। इसके अलावा एक लंबी चौड़ी दुश्मनों की फौज है जो चाहते हैं कि यही मौका है क्लेश काटने का। जजपा क्यों चाहेगी कुंलदीप बिश्नाई मजबूत हो? कुछ हजार वोटों का कोटा तो सोनाली फौगाट ने भी अपना बना ही लिया है? तेजतर्रार नेत्री ज्योति बैंदा क्यों चाहेंगी सारी उम्र अपने को आदमपुर में टिकट की दौड़ से बाहर निकालना। इसके अलाव भी बहुत से लोग भाजपा, जजपा और इनेलो में हैं जो कुलदीप बिश्नोई का हिसाब किताब चुकता करना चाहेंगे इस उपचुनाव में। कुल मिलाकर इतना तो तय है कि ये चुनाव जितना आसान दिखता है उतना है नहीं। चुनाव के दिन जैसे जैसे नजदीक आएंगे वैसे वैसे ये चुनाव भी असली रंग पकड़ता जाएगा।
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