सत्य खबर, करनाल ।
Advocates will lead the fight to save the Constitution: Anurag Dhanda*
आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने मंगलवार को करनाल के जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ता संवाद में शामिल हुए। उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और लीगल सेल के प्रदेश अध्यक्ष मोक्ष पसरीजा भी मौजूद रहे। इस दौरान 10 अक्टूबर को होने वाले लोकतंत्र बचाओ मार्च का निमंत्रण दिया और लोकतंत्र बचाने के लिए हस्ताक्षर कैंपेन चलाया।
अनुराग ढांडा ने अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि लोकतंत्र के चार स्तंभ होते हैं, जिसमें न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और मीडिया है। जिनके ऊपर लोकतंत्र टिका हुआ है, लेकिन आज के दिन लोकतंत्र से तानाशाही की तरफ जाने की कोशिश हो रही है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के एक स्तंभ मीडिया का कोंप्रोमाइज हो चुका है, कुछ साथी अभी भी संघर्ष कर रहे हैं जो सत्ता के खिलाफ आवाज उठाते हैं। दूसरा स्तंभ है कार्यपालिका, कार्यपालिका अंग्रेजों के जमाने में भी कोई स्टैंड नहीं ले पाई, क्योंकि नियम के हिसाब से बंधे होते हैं। अपने आप से कोई फैसले नहीं ले सकते। तीसरा है विधायिका, इसमें ढेर सारे उदाहरण देश के पास हैं कि कैसे चुनी हुई सरकारों को पैसे के दम पर बदल दिया गया, कैसे चुनी हुई सरकारें ईडी, सीबीआई के दम पर बदली गई।
लेकिन अब विधायिका को परमानेंट कोंप्रोमाइज करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए सीधा इलेक्शन कमीशन को टारगेट किया है। सरकार ने इलेक्शन कमीशन की कमेटी से चीफ जस्टिस को बाहर कर दिया। चीफ जस्टिस को इलेक्शन कमेटी से बाहर करना सवाल खड़ा करता है कि भाजपा सरकार इलेक्शन कमीशन में अपनी मर्जी के व्यक्ति को बैठाकर चुनाव प्रक्रिया को कोंप्रोमाइज करके अपने तरीके से सरकार चलाना चाहती है। इसका मतलब न्यायपालिका पर जो हमला किया जा रहा है ये लोकतंत्र पर आखिरी हमला है। उन्होंने कहा जब ये लड़ाई चल रही है कि “सेव द कोंस्टिट्यूशन” तो आपका दायित्व बनता है
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कि आप सब 10 अक्टूबर को दिल्ली में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। ताकि सुप्रीम कोर्ट के जजों का भी हौसला बढ़े कि हमारे साथ पूरे देश के वकील खड़े हैं। ये कोई राजनीतिक कैंपेन नहीं है ये संविधान को बचाने की लड़ाई है। पूरे देश में ये मैसेज जाना चाहिए कि देश के लोग और जो सबसे जागरुक वर्ग है सभी वकील एकजुट होकर संविधान के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश के खिलाफ खड़े हैं। जो भी लोकतंत्र को कोंप्रोमाइज करने की ताकतें हैं उनको पीछे हटना पड़ेगा। उन्होंने अधिवक्ताओं से लोकतंत्र को बचाने की इस लड़ाई का नेतृत्व करने का अनुरोध किया।