सत्य खबर । चंडीगढ़
हरियाणा में कैडर पदों पर नॉन कैडर अफसरों की तैनाती को लेकर विवाद खत्म होने के बजाए बढ़ने लगा है। चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने आईएएस अधिकारियों के साथ हो रहे भेदभाव को खत्म करने के लिए मुख्य सचिव विजय वर्धन को पत्र को लिखा है। उन्होंने आईएएस के पदों पर आईपीएस, आईएफएस व आईआरएस की नियुक्ति को नियमानुसार अनुचित बताया।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि सक्षम अथॉरिटी जनहित में तबादले व नियुक्तियां करती है। लेकिन, इनमें किया जा रहा भेदभाव तभी खत्म होगा जब नियमों का अनुसरण किया जाएगा। आईएएस कैडर नियमों 31 अक्टूबर 2013 को टीएसआर सुब्रमण्यम और अन्य बनाम केंद्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अवश्य संशोधन किए गए हैं। उनके अनुसार कार्य के लिए हरियाणा में भी सिविल सर्विस बोर्ड को क्रियाशील किया जाए।
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रूल-7 के तहत आईएएस के तबादले बोर्ड की सिफारिश के अनुसार होंगे, जिसमें मुख्य सचिव, वित्तायुक्त व सचिव कार्मिक की राय को सम्मिलित किया जाए। आईएएस का किसी भी पद पर कार्यकाल कम से कम दो वर्ष तक हो। सीएम बोर्ड की सिफारिश को संशोधित, रद्द व बदलवा भी सकते हैं लेकिन उन्हें इसका कारण लिखित में बताना होगा। बिना बोर्ड की सिफारिश के तबादले व नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। रूल-8 के मुताबिक हर कैडर पद को कैडर अफसर से ही भरा जाएगा।
रूल-9 के तहत नॉन कैडर अफसर को कैडर पद पर अधिकतम तीन माह के लिए अस्थायी तौर पर तभी नियुक्ति दी जाएगी जब कोई उपयुक्त कैडर अफसर उपलब्ध न हो। इसके बाद भी अगर नॉन कैडर अधिकारी को किसी कैडर पद पर नियुक्त करना है तो केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति जरूरी है। छह माह से अधिक नियुक्ति के लिए यूपीएससी की सलाह भी लेनी होगी।
खेमका ने लिखा है कि सिविल सर्विस बोर्ड के संवैधानिक कार्य व क्रिया कलाप के साथ अन्याय हो रहा है। इसके सदस्य मूकदर्शक बनकर कार्य कर रहे है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (1) व प्रधान सचिव (12) के कुल 13 कैडर पदों पर 26 अतिरिक्त मुख्य सचिव व प्रधान सचिव कार्य कर रहे हैं। इनमें से कुछ पद पर कार्य बोझ चंद घंटों का ही है।
खेमका ने दिए ये सुझाव
सिविल सर्विस बोर्ड को क्रियाशील किया जाए। सीएम को आईएएस सिविल सर्विस रूल्स के संशोधन की जानकारी उनके प्रधान सचिव के जरिए दी जाए।
कैडर पदों पर नॉन कैडर अफसरों को बिना प्रक्रिया पूरी किए न नियुक्त किया जाए। एचपीएससी अध्यक्ष आलोक वर्मा व आईआरएस योगेंद्र चौधरी के केस केंद्र सरकार को विचार के लिए भेजे जाएं।
आईपीएस शत्रुजीत कपूर व आईएफएस एमडी सिन्हा को अगर वर्तमान पदों पर तीन माह से अधिक समय तक लगाना है तो उनके मामले भी मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजें।
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