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IAS Ramesh Gholap: चूड़ियां बेचने वाला बन गया IAS अफसर, बिना कोचिंग क्रैक किया UPSC एग्जाम

IAS Ramesh Gholap: यह कहावत तो आपने ज़रूर सुनी होगी कि जिसे सच्चे मन से चाहो कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है लेकिन यही काफी नहीं होता हमारा अपना किया हुआ प्रयास भी काफी मायने रखता है। आज हम बात कर रहे है IAS Officer Ramesh Gholap की जो कि युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए।

रमेश के पिता की एक साईकिल की छोटी सी दुकान थी। यूं तो इनके परिवार में चार लोग थे, लेकिन पिता की शराब पीने की आदत ने इन्हें सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। इधर ज्यादा शराब पीने की वजह से इनके पिता अस्पताल में भर्ती हो गए तो परिवार की सारी जिम्मेदारी मां पर आ गई। IAS Ramesh Gholap

मां सड़कों पर चूड़ियां बेचने लगीं, रमेश के बाएं पैर में पोलियो हो गया था, लेकिन हालात ऐसे थे कि रमेश को भी मां और भाई के साथ चूड़ियां बेचनी पड़ी।गांव में पढाई पूरी करने के बाद बड़े स्कूल में दाखिला लेने के लिए रमेश को अपने चाचा के गांव बरसी जाना पड़ा।

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साल 2005 में IAS Ramesh Gholap 12 वीं कक्षा में थे तब उनके पिता का निधन हो गया। चाचा के गांव से अपने घर जाने में बस से 7 रुपये लगते थे लेकिन विकलांग होने की वजह से रमेश का केवल 2 रुपये किराया लगता था लेकिन वक्त की मार तो देखो रमेश के पास उस समय 2 रुपये भी नहीं थे।

पड़ोसियों की मदद से किसी तरह रमेश अपने घर पहुंचे। IAS Ramesh Gholap ने 12वीं में 88।5 फीसदी नंबर के साथ परीक्षा पास की। इसके बाद इन्होंने एजुकेशन में एक डिप्लोमा कर लिया और गांव के ही एक स्कूल में टीचर बन गए। डिप्लोमा करने के साथ ही रमेश ने बीए की डिग्री भी ली। टीचर बनकर रमेश अपने परिवार का खर्च चला रहे थे, लेकिन उनका टारगेट कुछ और ही था। IAS Ramesh Gholap

आखिर 2012 में IAS Ramesh Gholap की मेहनत रंग लाई और रमेश ने यूपीएससी की परीक्षा में 287 वीं रैंक हासिल की। इस तरह बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए, अनपढ़ मां बाप का बेटा आईएएस (IAS) अफसर बन गया। रमेश ने अपने गांव वालों से कसम ली थी कि जब तक वो एक बड़े अफसर नहीं बन जाते तब तक गांव वालों को अपनी शक्ल नहीं दिखाएंगे।

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