Unanimous election of Samalkha Bar Association
सत्य खबर , पानीपत। पानीपत जिले की समालखा उप-मंडल की बार एसोसिएशन ने आपसी भाईचारे की मिसाल पेश की है। पांच पदों के लिए होने वाले चुनावों में से बार के वकीलों ने सर्व-सम्मति से तीन पदों पर दावेदार चुन लिए हैं।
यहां प्रधान, उप-प्रधान और सचिव पद पर सर्व-सम्मति से चुनाव हो गया है। बड़ी बात यह है कि समालखा बार ने EX MLA भरत सिंह छौक्कर को प्रधान चुन लिया है। वहीं, इनके साथी वकील विकास भारद्वाज को उप-प्रधान और मुकेश कुमार को सचिव चुना गया है।Unanimous election of Samalkha Bar Association
अब यहां सह-सचिव और कैशियर पद पर चुनाव होना है। हालांकि वकीलों का गठ-जोड़ पूरी तरह से जारी है कि किसी तरह इन दोनों पदों पर भी सभी की सहमति बन जाए। ताकि समालखा बार प्रदेश भर में गवर्निंग बॉडी चुनने वाली पहली बार बन सके।
दरअसल, बार के वकीलों को कॉमर्शियल मीटर लेने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा था। काफी लागत होने के चलते यह लिया नहीं जा रहा था। करीब दो माह पहले भरत सिंह छौक्कर ने 12.50 लाख रुपए का चेक समालखा बार को मीटर की समस्या के निदान के लिया था।
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अब चुनाव आने पर उन्होंने बार के अनेकों काम करने के लिए भी करीब 18 लाख रुपए और देने की घोषणा की थी। ये रुपए उन्होंने अपने निजी कोष ने देने की बात कही है। समालखा बार में पार्किंग, सिटिंग, लाइब्रेरी समेत तमाम बड़े काम होने हैं, जोकि काफी समय से लंबित है। बार के विकास कार्यों के प्रति उनका रुख देखते हुए वकीलों ने उनके नाम पर सहमति दर्ज करवाई है।
जानकारी देते हुए चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर एडवोकेट मांगेराम रावल ने बताया कि सर्व-सम्मति से तीन पदों पर चुनाव होना, अपने आप में बड़ी बात है। समालखा बार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। हो सकता है कि तीन पदों पर चयन होना प्रदेश में पहली बार हो।Unanimous election of Samalkha Bar Association
पूर्व विधायक भरत सिंह छौक्कर द्वारा बार के विकास कार्यों के लिए निजी कोष से दी गई अनुदान राशि को देखते हुए वकीलों ने उन्हें प्रधान चुना है। वे 1989 से वकील हैं। अब कैशियर पद पर कुमारी अरविंद और अनिल कौशिक व सह सचिव पद पर संजय त्यागी और सुमित राठी के बीच चुनाव होना है।
छौक्कर का राजनीतिक करियर
वर्ष 1996 में बसपा से राजनीति की शुरुआत करने वाले भरत सिंह छौक्कर ने बाद में कांग्रेस का झंडा उठा लिया। भूपेंद्र हुड्डा की बदौलत 2005 में टिकट मिला और चुनाव भी जीत गए। अगला चुनाव आते-आते उनके नंबर कट गए। 2009 में कांग्रेस ने संजय छोक्कर को टिकट दे दिया। इस बात से वह नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
समालखा से तब की हरियाणा जनहित कांग्रेस यानी हजकां की टिकट पर चुनाव लड़े धर्म सिंह छौक्कर का समर्थन कर दिया। धर्म सिंह छोक्कर जीत भी गए। इस दौरान भरत सिंह हजकां के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई से भी मिले। पर कुछ समय बाद इनका हजकां से भी मोह भंग हो गया। हजकां को बाय-बाय कर इन्होंने राजकुमार सैनी का समर्थन कर दिया।
राजकुमार सैनी भाजपा छोड़कर अपनी पार्टी बना चुके थे। पर देखा कि राजकुमार सैनी के साथ रहने का फायदा नहीं है, तब उन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा का दामन थामा। हालांकि इससे पहले भी वह भाजपा में रह चुके थे। इस बार उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें टिकट देगी, पर ऐसा नहीं हुआ। फिर भी पार्टी में बने रहे।
इसके बाद किसान आंदोलन का तर्क देते हुए भाजपा को अलविदा बोल दिया है। करीब पांच माह पहले नगर पालिका चुनाव में आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ने के दौरान बीच मतदान में ही उन्होंने मैदान छोड़ दिया था और अपने प्रतिद्वंदी को समर्थन दिया था।
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