सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – नगर की पुरानी अनाज मंडी में श्रीमद् भागवत कथा मंडल के तत्वावधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथाव्यास आचार्य शैलेंद्र शुक्ल ने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर पाप व अत्याचार बढ़ जाता हैं तब-तब भगवान इस धरा पर अवतार धारण करते हैं। कंस ने अपने सहित सभी संबंधियों को बंदीगृह में डाल दिया और यज्ञ व देवपूजन पर पाबंदी लगा दी। इस पाबंदियों के कारण देवता जब कमजोर होने लगे तो देवताओं ने भगवान नारायण से प्रार्थना की। देवताओं की पुकार सुनकर भगवान वसुदेव व देवकी के यहां पुत्र बनकर आए और कंस के अत्याचारों से जनता का मुक्ति दिलवाई।
उन्होंने कहा कि परमपिता परमात्मा प्रत्येक प्राणी के कण-कण में विद्यमान है मगर उनको पहचानने के लिए शुद्ध एवं अंतर भाव को जगाना होगा। भगवान का जन्म नहीं होता वे तो अजर-अमर है और केवल लीलाएं दिखाते हैं। जो वस्तु पहले थी आज भी है और आगे भी रहेगी वह ईश्वर है। ईश्वरीय भक्ति बिना गुरु के नहीं मिल सकती। श्रीमन्न नारायण कण-कण में व्याप्त है मगर उनको देखने के लिए चाहिए दिव्य चक्षु। उन्होंने कहा कि भागवत कथा श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप कर्म दूर हो जाते हैं। यह आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाती है। सदगुरु ही जीव को परमात्मा का साक्षात्कार करवा सकता है।
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