सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
आर्य समाज के तत्वधान में चल रहे शिवरात्रि व महर्षि दयानंद बोधोत्सव के तृतीय दिवस पर का शुभारंभ आचार्य योगेंद्र याज्ञिक के ब्रह्मतत्व में किया गया। इस दौरान यजमान के आसन पर प्रणव आर्य परिवार उपस्थित रहे। भजनोपदेशक योगेश दत्त ने भजनों के माध्यम से शिवरात्रि तथा ऋषि दयानंद बोधोत्सव के बारे में विचार दिया। उन्होंने बताया कि शिवरात्रि के दिन ही महर्षि दयानंद को बोध हुआ और सच्चे शिव की खोज करने हेतु भारत भ्रमण किया व सच्चे शिव को प्राप्त किया। तत्पश्चात आचार्य योगेंद्र ने प्राचीन भारत वैदिक सभ्यता, संस्कार और संस्कृति के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि महाभारत के पश्चात दिए ज्ञान का लोप हुआ और अज्ञान के बादल ने भारतवर्ष में सत्य के सूर्य को ढक दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि देश में मत-मतांतर व पाखंड आदि कुरीतियां फैलती गई। इसी बीच महर्षि दयानंद सरस्वती मल्लाह बनकर आया और सत्यज्ञान रूपी पतवार से भारत को किनारे लगाने का प्रयास किया और असत्य, अज्ञान रुपी बादल को सत्य ज्ञान के सूर्य से दूर किया। इस अवसर पर इंद्रजीत आर्य, नरेश चंद्र, आमोद आर्य, विजय कुमार, आदित्य आर्य, मियां सिंह, कर्मचंद मित्तल, महेंद्र पाल, नाथीराम, रामप्रताप,कृष्ण आर्य, हवा सिंह, धर्मपाल गुप्ता, अश्विनी आर्य सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
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