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स्पीकर की बड़ी कार्रवाई, सभी 6 बागी कांग्रेस विधायक अयोग्य घोषित

सत्य खबर/ नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में 6 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद शुरू हुआ सियासी घमासान तेज हो गया है. इस बीच हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतपाल पठानिया ने बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने कांग्रेस के सभी 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. स्पीकर पठानिया ने कहा कि इन विधायकों ने कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया.

स्पीकर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मंत्री हर्ष वर्धन ने इन विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत शिकायत दर्ज कराई है. इसके बाद दोनों पक्षों को सुनने के बाद मैंने अपना फैसला सुनाया है.’ उधर, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया है कि उनकी सरकार पूरी तरह सुरक्षित है और सरकार को कोई खतरा नहीं है.

विधायकों की बगावत से सरकार पर संकट

हाल ही में हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव के दौरान कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी. इन विधायकों के बागी तेवर के चलते पार्टी प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन के सामने हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद प्रदेश की सुक्खू सरकार पर संकट मंडराने लगा।

बीजेपी ने राज्यपाल से मुलाकात कर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग की थी. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि राज्य की कांग्रेस सरकार को अब सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि सरकार के पास अब विधानसभा में बहुमत नहीं है.

दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद बड़ा फैसला

कांग्रेस के 6 विधायकों की क्रॉस वोटिंग का यह मामला स्पीकर सतपाल पठानिया तक भी पहुंचा था. कांग्रेस ने इन विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग की थी. बुधवार को सुनवाई के बाद स्पीकर ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन आज उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए इन छह बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया.

स्पीकर पठानिया ने कहा कि इन विधायकों ने पार्टी की ओर से जारी व्हिप का उल्लंघन किया है. इन विधायकों ने कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बाद पार्टी की ओर से जारी व्हिप की अनदेखी की है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद मैंने 30 पेज का ऑर्डर दिया है.

इन विधायकों की सदस्यता रद्द

हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के जिन छह बागी विधायकों को अयोग्य ठहराया है, उनमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र सिंह राणा, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल शामिल हैं। व्हिप का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाने पर इन सभी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है.

स्पीकर के फैसले के बाद क्या होगा

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायकों की ताकत है. अब पार्टी के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है. ऐसे में अब विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 62 हो गई है. वहीं, बीजेपी के पास 25 विधायकों की ताकत है जबकि तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी बीजेपी के पास है.

कांग्रेस विधायकों को मनाने की कोशिश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज सुबह पार्टी के सभी विधायकों को नाश्ते पर बुलाया था, लेकिन पार्टी के चार विधायक मुख्यमंत्री के बुलावे पर नहीं पहुंचे. ऐसे में माना जा रहा है कि सुक्खू सरकार पर संकट अभी खत्म नहीं हुआ है. हालांकि, मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि उनकी सरकार पूरी तरह सुरक्षित है और सरकार को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है.

राज्यसभा चुनाव में क्या हुआ?

इससे पहले हिमाचल प्रदेश की एक सीट पर हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था, क्योंकि पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए थे. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन दोनों को बराबर 34-34 वोट मिले. बाद में टॉस से फैसला हुआ जिसमें हर्ष महाजन विजयी रहे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक हैं और एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 35 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी, लेकिन 6 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के कारण कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को केवल 34 वोट ही मिल सके.

दूसरी ओर, बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन को उनकी पार्टी के 25 वोटों के अलावा 6 कांग्रेस विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों के वोट भी मिले. इस तरह बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन भी 34 वोट पाने में कामयाब रहे.

प्रियंका गांधी ने विक्रमादित्य से बात की

इस बीच राज्य में कांग्रेस सरकार का संकट टालने के लिए प्रियंका गांधी ने इस्तीफा देने वाले मंत्री विक्रमादित्य सिंह से बात की है. जानकार सूत्रों का कहना है कि विक्रमादित्य सिंह ने अपने गुट के किसी नेता को नया मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की है. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बचाने के लिए विक्रमादित्य सिंह को साथ रखना जरूरी है और यही कारण है कि उनका इस्तीफा अभी तक मुख्यमंत्री ने स्वीकार नहीं किया है. हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व हिमाचल में अपनी सरकार बचाने के लिए नेतृत्व परिवर्तन को तैयार दिख रहा है।

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