CBI interrogation ex rajyapal satyapal malik
सत्य खबर, दिल्ली । केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी CBI ने जम्मू कश्मीर, बिहार (bihar) और मेघालय के राज्यपाल रह चुके सत्यपाल मलिक (satyapal malik) से पूछताछ शुरू कर दी है। चार अक्तूबर को ही मलिक ने राज्यपाल के तौर पर अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। अब उनके रिटायरमेंट के बाद सीबीआई एक्शन मोड में आ गई है। बताया जाता है कि दो दिन पहले दिल्ली स्थित सीबीआई कार्यालय में ये पूछताछ हुई है। CBI interrogation ex rajyapal satyapal malik
मलिक पिछले दो साल से केंद्र सरकार (center government) को घेरते नजर आ रहे हैं। खासतौर पर किसान आंदोलन के बाद मलिक ने सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधना शुरू कर दिया था। तब से वह लगातार केंद्र सरकार की जमकर आलोचना करते आ रहे हैं। खुले मंच से उन्होंने सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। अब सीबीआई की पूछताछ के बाद कई तरह की कयासबाजी शुरू हो गई है।
सवाल उठ रहा है कि आखिर सत्यपाल मलिक से क्यों पूछताछ हो रही है? किस मामले में सीबीआई ने उनका बयान दर्ज किया है और अब आगे क्या होगा? आइए समझते हैं…
पहले सत्यपाल मलिक को जान लीजिए
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को बागपत में हुआ था। उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और फिर एलएलबी की पढ़ाई की। छात्र जीवन से ही वह राजनीति में सक्रिय हो गए थे। 1968-69 में वह स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट चुने गए। इसके बाद 1974 से 77 तक विधायक रहे। 1980 में राज्यसभा के सांसद बने। जनता दल के टिकट पर 1989 में लोकसभा चुनाव लड़े और जीत गए। 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन बुरी तरह हार मिली। 2012 में भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया।
इसके बाद 30 सितंबर 2017 को उन्हें बिहार के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें 23 अगस्त 2018 में जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया। अगस्त 2019 में मलिक के रहते ही जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द कर दिए गए। तीन नवंबर 2019 को उन्हें गोवा और फिर 18 अगस्त 2020 को मेघालय का राज्यपाल बना दिया गया। इस तरह से पांच साल के कार्यकाल में उन्हें चार राज्यों में ट्रांसफर किया गया। CBI interrogation ex rajyapal satyapal malik
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सीबीआई ने सत्यपाल मलिक से क्यों पूछताछ की?
दरअसल, सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 के बीच जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।
उन्होंने कहा था, ‘कश्मीर जाने के बाद, दो फाइलें मेरे पास (मंजूरी के लिए) आईं। इसमें से एक अंबानी की थी और दूसरी आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से जुड़े एक व्यक्ति की, जो महबूबा मुफ्ती (mehbooba mufti) के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री थे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के बहुत करीब होने का दावा करते थे। मुझे दोनों विभागों के सचिवों द्वारा सूचित किया गया था कि यह एक घोटाला है। मैंने उसी के अनुसार दोनों सौदे रद्द कर दिए। सचिवों ने मुझसे कहा था कि आपको प्रत्येक फाइल को मंजूर करने के लिए 150 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामा लेकर आया हूं और उसी के साथ जाऊंगा।’
इसी मामले को लेकर सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज की थी। अब मलिक के रिटायरमेंट के बाद दोनों मामलों की जांच शुरू हो गई है।
क्या-क्या लगे हैं आरोप?
इसी साल अप्रैल में, सीबीआई ने मलिक द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दो एफआईआर दर्ज की थी। जिसमें सरकारी कर्मचारियों के लिए एक सामूहिक चिकित्सा बीमा योजना और पूर्ववर्ती राज्य में किरू जलविद्युत परियोजना से संबंधित 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्य के लिए ठेके प्रदान करने से संबंधित थी। CBI interrogation ex rajyapal satyapal malik
1. बीमा से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप में क्या है?
सीबीआई ने जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के लिए विवादास्पद स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़ी अपनी एफआईआर में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस (reliance general insurance) और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है, जिसे मलिक ने 31 अगस्त, 2018 को राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में कथित तौर पर मंजूरी दी थी।
एफआईआर में आरोप लगाया है, ‘जम्मू कश्मीर सरकार के वित्त विभाग के अज्ञात अधिकारियों ने ट्रिनिटी रीइंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के साथ साजिश और मिलीभगत में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक साजिश और आपराधिक कदाचार के अपराध किए।’
इसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने 2017 और 2018 की अवधि के दौरान ‘खुद को आर्थिक लाभ और राज्य के खजाने को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया और इस तरह से जम्मू कश्मीर सरकार को धोखा दिया।’
विभिन्न वर्गों में यह आरोप लगाया गया था कि रिलायंस जनरल इंश्योरेंस को अनुबंध प्रदान करने में सरकारी मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन किया गया, जैसे ऑनलाइन निविदा की अनुपस्थिति, इस मूल शर्त को हटाना कि विक्रेता को राज्य में काम करने का अनुभव होना चाहिए।
सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी (R C Joshi) ने कहा था, ‘जम्मू कश्मीर सरकार के अनुरोध पर जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना के अनुबंध को निजी कंपनी को देने और वर्ष 2017-18 में 60 करोड़ रुपये (लगभग) जारी करने में कदाचार के आरोपों पर मामला दर्ज किया गया था।’
अधिकारियों ने कहा कि अनियमितताओं के आरोप सामने आने के बाद, 30 सितंबर, 2018 को शुरू की गई योजना को रद्द कर दिया गया था।
2. दूसरे मामले में क्या आरोप है?
भ्रष्टाचार का दूसरा आरोप किरू जलविद्युत परियोजना को लेकर है। इसमें सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है कि इस परियोजना के सिविल कार्य पैकेज के लिए ठेका देने में अनियमितता हुई है। ई-निविदा से संबंधित दिशानिर्देशों का भी पालन नहीं किया गया।
सीबीआई की पूछताछ के बाद मलिक ने क्या कहा?
सीबीआई के सामने बयान दर्ज कराने के बाद सत्यपाल मलिक ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘जांच एजेंसी ने मुझे बुलाया था और मामले से संबंधित मेरे बयानों का विवरण लिया। आगे की पूछताछ के बारे में कोई जानकारी मुझे नहीं दी गई।
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