सत्य खबर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :Central Information Commission gives important decision on RTI of Jammu and Kashmir Police, funds allocated to police stations will no longer be disclosed: CIC
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने हाल ही में सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) [फैसल बशीर बनाम पीआईओ, पीएचक्यू जम्मू और कश्मीर, श्रीनगर] के तहत प्रत्येक पुलिस स्टेशन को आवंटित धन राशि का खुलासा का करने की अपील को खारिज कर दिया है।
मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने पुलिस मुख्यालय, श्रीनगर में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) के इस तर्क से सहमत हुए कि ऐसी जानकारी प्रदान करके परिचालन गोपनीयता और जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हितों पर कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। जिसको सीआईसी ने गंभीरता से लेते हुए फैसल बशीर द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के प्रत्येक पुलिस स्टेशन को प्रदान किए गए धन का विवरण आरटीआई एक्ट के तहत आवेदन में मांगा था।
जबकि सीआईसी ने कहा है कि पुलिस थानों को आवंटन किए गए राशि का खुलासा किया जा सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जम्मू एंड कश्मीर निवासी बशीर ने 1 अगस्त, 2022 को आरटीआई अधिनियम के तहत एक आवेदन दायर कर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के प्रत्येक पुलिस स्टेशन को आवंटित धन और फाइलों और प्रासंगिक दस्तावेजों आदि के निरीक्षण के लिए व आवंटित धन का विवरण मांगा था। जिसको पुलिस मुख्यालय, श्रीनगर में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने विवरण का खुलासा करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि मांगी गई जानकारी साझा नहीं की जा सकती क्योंकि यह वर्गीकृत या महत्वपूर्ण प्रकृति की है और आरटीआई अधिनियम के तहत प्रकटीकरण से छूट प्राप्त है।
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जिस पर आवेदक ने प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर की थी जिसमें भी मांगी गई जानकारी आरटीआई अधिनियम, 2005, नियम 8 धारा (ए, जी, एच और जे) के तहत छूट दी गई है, इसलिए प्रदान नहीं की जा सकती। अपील खारिज कर दी।
जिस पर अपीलकर्ता ने सूचना पाने के लिए दीप्ति अपील केंद्रीय सूचना आयोग में दायर की थी।
जिसकी सुनवाई केंद्रीय सूचना आयोग वाई के सीना के समक्ष हुई। सुनवाई के दौरान, उन्होंने प्रस्तुत किया कि आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8 (1) (जी) (एच) और (जे) के तहत छूट का दावा आरटीआई अधिकारियों (प्रतिवादी) द्वारा बिना किसी कारण या औचित्य के गलत तरीके से किया गया था और अधिनियम की धारा 4 (1) (बी) के अनुसार जानकारी को वेबसाइट पर सक्रिय रूप से प्रकट किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया है।
पीआईओ डॉ. जी वी संदीप चक्रवर्ती ने सुनवाई के दौरान स्वीकार किया कि अधिनियम की धारा 8 (1) (जी)(एच) और (जे) के तहत छूट का दावा शायद अनजाने में किया गया था और छूट वास्तव में धारा 8(1)(ए) के तहत थी।
उन्होंने आयोग को बताया कि केवल आवर्तन बजट विवरण केवल मीडिया को जारी किया जाता है और आयोग द्वारा आदेश होने पर अपीलकर्ता को प्रदान किया जा सकता है।
हालांकि, राज्य की परिचालन गोपनीयता और सुरक्षा हितों को बनाए रखने के लिए प्रत्येक पुलिस स्टेशन को आवंटित धन के बारे में विशिष्ट जानकारी का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।
जिससे आयोग पूर्णता सहमत हो गया।
लेकिन परिचालन और सुरक्षा हित से समझौता किए बिना इस अपील का निपटारा करते समय, मुख्य सूचना आयुक्त वाई के सिन्हा ने कहा कि “प्रतिवादी द्वारा उचित प्रतिक्रिया प्रदान की गई है। तथा 31 जुलाई तक आवेदक को सूचना उपलब्ध करा दी जाए।
बता दे कि धारा 370 हटने से पहले सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 जम्मू एंड कश्मीर राज्य में लागू नहीं था।जब से भाजपा सरकार ने जम्मू एंड कश्मीर से 370 को हटाया है और राज्य को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया है तभी से यह नियम वहां पर लागू हुआ है। जिसका भरपूर फायदा प्रदेश वासी उठा रहे हैं।
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