haryana Chautala all political story
पोलिटिकल डेस्क, सत्यखबर। हरियाणा की सियासत का मिजाज अनूठा और रोचक तथ्यों से भरा है। यहां की सियासत में लालों की एक खास परम्परा रही है। इस लाल परम्परा के एक अहम किरदार थे देवीलाल। देवीलाल घराने से सबसे अधिक बार 7 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है तो प्रदेश में सबसे अधिक उपचुनाव लडऩे और जीतने का रिकॉर्ड भी इस परिवार के नाम है। देवीलाल परिवार 7 सदस्यों ने एक दर्जन उपचुनाव लड़े और 9 उपचुनावों में जीत भी दर्ज की। खास बात यह है कि अपने राजनीतिक जीवन में चौधरी देवीलाल तीन उपाचुनावों में विधायक चुने गए। चौधरी देवीलाल (Chaudhary Devi Lal)साल 1959 में सिरसा से, 1975 में रोड़ी से और 1985 में महम का उपचुनाव जीतकर विधायक चुने गए।
इसी तरह से उनके बड़े बेटे चौधरी ओमप्रकाश चौटाला (Omprakash Chautala) साल 1970 में ऐलनाबाद से, 1990 में दड़बा से और 1993 में नरवाना उपचुनाव के जरिए विधायक बने थे। वहीं देवीलाल के पौते चौधरी अभय सिंह चौटाला ( Abhay singh Chautala)साल 2000 में रोड़ी, 2010 और 2021 में ऐलनाबाद उपचुनाव जीतकर विधायक बने। यह प्रदेश ही नहीं देश की सियासत में शायद इकलौता उदाहरण है जब पहले दादा ने फिर पिता ने और उसके बाद पौते ने तीन उपचुनाव जीत हों। कुल मिलाकर देवीलाल अपने सियासी जीवन में आठ बार, ओमप्रकाश चौटाला सात बार विधायक बने। अभय ङ्क्षसह चौटाला पांच बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य चुने जा चुके हैं। इससे हटकर बात करें तो चौधरी देवीलाल के बड़े भाई साहिबराम भी साल 1938 में सिरसा से उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे।haryana Chautala all political story
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दरअसल चौधरी देवीलाल ब्रिटिश शासन में ही स्वतंत्रता आंदोलन और सियासत में सक्रिय थे। साल 1938 में सिरसा में उपचुनाव हुआ। उस समय देवीलाल की उम्र छोटी थी। ऐसे में उनके बड़े भाई साहिबराम ने उस उपचुनाव में शिरकत की और जीत दर्ज कर विधायक निर्वाचित हुए। 1938 में ब्रिटिश शासन में शुरू हुआ उपचुनाव लडऩे का सिलसिला इस परिवार में लगातार जारी है। 1975 में देवीलाल ने रोड़ी उपचुनाव में जीत दर्ज की और उसके बाद वे 1985 में महम से विधायक निर्वाचित हुए। 1970 में ओमप्रकाश चौटाला ऐलनाबाद से विधायक बने और इसके बाद वे 1990 में दड़बा कलां और 1993 में नरवाना से विधायक निर्वाचित हुए। चौटाला ने इस परिवार में सबसे अधिक तीन उपचुनाव लड़े और तीनों में जीत हासिल की। इसके बाद साल 2000 में ओमप्रकाश चौटाला द्वारा रोड़ी सीट से इस्तीफा देने के बाद उनके छोटे बेटे रोड़ी विधानसभा से उपचुनाव जीतकर विधायक चुने गए। 2010 में अभय ङ्क्षसह चौटाला ने ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की। 27 जनवरी 2021 को किसान आंदोलन के समर्थन में चौधरी अभय सिंह चौटाला ने ऐलनाबाद विधानसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया और उसके बाद अक्तूबर 2021 में ऐलनाबाद में उपचुनाव हुआ। तब अभय ङ्क्षसह चौटाला ने भाजपा प्रत्याशी गोबिंद कांडा को करीब 6739 वोटों के अंतर से पराजित किया और तीसरा उपचुनाव जीता।
इन सदस्यों को नहीं मिली सफलता
चौधरी देवीलाल परिवार के तीन सदस्यों ने 9 उपचुनाव जीते तो वहीं 4 सदस्य ऐसे भी रहे जिन्हें उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। साल 2008 में देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत सिंह को आदमपुर से पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के सामने हार झेलनी पड़ी। इसी तरह से साल 2011 के हिसार लोकसभा उपचुनाव में अजय चौटाला को पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप के सामने पराजय का सामना करना पड़ा। इससे पहले साल 2000 में रवि चौटाला को रोड़ी उपचुनाव में अपने चचेरे भाई अभय चौटाला के सामने हार का मुंह देखना पड़ा। इसी तरह से जनवरी 2019 में जींद उपचुनाव में दिग्विजय चौटाला की हार हुई।haryana Chautala all political story
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