सत्य खबर । पलवल
बढ़ती सर्दी व प्रदूषण में अपनी सेहत का कैसे ख्याल रखें और कौन-कौन सी बीमारियां इस दौरान तेजी से बढ़ने वाली है इन सभी बातों पर डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया की सर्दी में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से बच्चों को अस्थमा होने की आशंका बढ़ सकती है। बच्चों में श्वसन संक्रमण बढ़ सकता है। दूषित हवा फेफड़ों को प्रभावित कर सकती है।
प्रदूषण से बच्चों को एलर्जी हो सकती है, खासकर नवजात शिशुओं को एलर्जी का खतरा अधिक होता है। इन दिनों ठंड अचानक बढ़ गई है। धुंध व ठंड के कारण घर से बाहर निकलना मुश्किल है।
ठंड के साथ-साथ प्रदूषण ने भी अटैक कर दिया है। बता दें कि सर्दी और प्रदूषण से हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, पैरालिसिस और ब्रेन हैमरेज का खतरा दोगुना हो जाता है। ऐसे में बुजुर्ग, बच्चों व मरीजों का खास ख्याल रखना जरूरी है। आइए जानते हैं सर्दी व प्रदूषण से होने वाली कुछ आम बीमारियों और इनसे बचने के उपाय :
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दिल का दौरा
ठंड के साथ हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स के मामले बढ़ जाते हैं। दिल तक खून पहुंचाने वाली किसी एक या एक से अधिक धमनियों में जमे फैट के थक्के के कारण रुकावट आ जाती है। खून का फ्लो रुक जाता है। खून न मिलने से दिल की मांसपेशियों में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है जिससे धीरे-धीरे दिल धड़कना बंद हो जाता है।
खांसी-जुकाम
डॉक्टर प्रशांत गुप्ता का कहना है कि इन दिनों जब तापमान नीचे आता है तो सभी लोगों पर इसका असर पड़ता है। इस वजह से खांसी-जुकाम होना आम बात है। अगर तीन-चार दिन में जुकाम का इलाज न किया जाए या जुकाम ठीक न हो तो यह फ्लू हो सकता है।
सर्दी के मौसम की शुरुआत होते ही अधिकांश लोगों को सर्दी-जुकाम होने की समस्या परेशान करने लगती है। कई बार सर्दी और जुकाम इंफेक्शन की वजह से भी होता है। ये छोटे बच्चों और बड़े सभी लोगों को होती है।
आइए जानें इसके लक्षण
नाक बहना, नाक का बंद होना,बार-बार छींक आना,गले में खराश या दर्द होना, तेज सिरदर्द होना।
इसके उपचार
सर्दी-जुकाम से जल्द आराम के लिए डॉक्टर की सलाह से दवा लें।
काले भुने हुए चनों को घी में भूनकर काला नमक डालकर खाने से लाभ मिलता है।
सर्दियों में मुनक्कों में काली मिर्च को रखकर हल्का गर्म करें व सेवन करें, कुछ दिनों में राहत मिलेगी। हमेशा गर्म पानी का सेवन करें।
जुकाम को ठीक करने का सबसे असरदार तरीका है भाप लेना, ये सीने में जमा कफ को खत्म करने में भी फायदेमंद होता है।
इंफ्लुएंजा या फ्लू (तेज बुखार आना)
इंफ्लुएंजा या फ्लू, सर्दी में इंफेक्शन की वजह से होने वाली सबसे कॉमन बीमारी है। एक-दो दिन से ज्यादा रहने इसे नजरअंदाज न करें और डॉक्टर की सलाह तुरंत लें।
लक्षण
तेज बुखार, हाथ पैरों की मांसपेशियों में दर्द होना,सिरदर्द होना, बार-बार गला सूखना, गले में दर्द होना, ठंड लगना आदि।
उपचार
इंफ्लुएंजा या फ्लू होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। फ्लू से निजात पाने के लिए आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार भी बेहद असरदार होते हैं।
पौष्टिक आहार और तरल आहार का सेवन करें। गिलोय, तुलसी और पपीते के पत्तों को पानी के साथ आधा रह जाने तक उबालें और उसे ठंडा होने पर सेवन कर लें।
गले में खराश या दर्द होना
सर्दी के आते ही गले में खराश यानि खुजली महसूस होती है, इसके साथ गले में दर्द भी लोगों को बेहद परेशान करता है। कई बार दर्द इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि खाना खाने में भी लोगों को दिक्कत महसूस होती है। गले में दर्द ठंडी चीजों का सेवन करने से भी होता है।
लक्षण : गले में खराश होना,गले में दर्द होना, खाना खाने में दिक्कत होना,गले में सूजन होने की समस्या आदि।
उपचार
सर्दियों में गले के दर्द से छुटकारा पाने के लिए दिन में 2-3 बार नमक वाले गर्म पानी से गरारे करें।
ठंडी चीजों को खाने से बचें।
गर्म चीजों यानि सूप, काढ़े आदि का सेवन करें।
अदरक के रस में शहद मिलाकर चाटें या लौंग का सेवन करें।
अदरक,लौंग,काली मिर्च और तुलसी की चाय का सेवन करें या काढ़ा बनाकर पीएं।
निमोनिया
सर्दी के मौसम में छोटे बच्चों को सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों में से एक है निमोनिया। निमोनिया में फेफड़ों में सूजन आती है। ये बीमारी इंफेक्शन की वजह से होती है। निमोनिया का पता चलने पर डॉक्टर से तुरंत इलाज करवाना चाहिए, वरना ये जानलेवा भी साबित हो सकता है।
लक्षण
निमोनिया में पीड़ित के फेफड़े में सूजन आती है, जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। इसके अलावा तेज बुखार आना, शरीर में कंपन होना सामान्य लक्षण होते हैं।
उपचार
निमोनिया का पता चलने पर सबसे पहले डॉक्टर की सलाह पर दवा लें या अस्पताल में एडमिट हों।
हल्दी को पानी में मिलाकर सीने पर लगाएं, इससे धीरे-धीरे इंफेक्शन में कमी आएगी और राहत मिलेगी।
एक गिलास पानी में 5-6 लौंग को उबालकर आधा रह जाने पर पीड़ित को देने से आराम मिलेगा।
पुदीने के पत्तों के रस में शहद मिलाकर दिन में 2 बार लेने से निमोनिया में आराम मिलता है।
तुलसी के पत्तों के रस में काली मिर्च मिलाकर दिन में 2 बार लेना फायदेमंद होता है।
अस्थमा
अस्थमा धूल, मिट्टी और धुएं की एलर्जी से होने वाली बीमारी है। सर्दियों में लोगों को कोहरा और ठंड बढ़ने पर सांस लेने में बेहद तकलीफ का सामना करना पड़ता है। अस्थमा अटैक से बचने के लिए लोगों को अपने पास हमेशा इनहेलर रखने की सलाह दी जाती है।
लक्षण
सांस लेने में तकलीफ होना, सांस फूलना, सीने में जकड़न होना, बार-बार खांसी आना, बैचेनी और घबराहट होना।
उपचार
धूल, मिट्टी, धुएं और प्रदूषण से बचने के लिए हमेशा चेहरा ढककर रखें। ताजा पेंट वाली जगह, कीटनाशक, स्प्रे, खुशबूदार इत्र,मच्छर भगाने की कॉइल के धुएं से दूर रहें। प्रिजर्वेटिव वाले फूड और कोल्ड ड्रिंक्स जैसे ठंडी चीजों का सेवन करने से बचें।
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