Chinese spy ship entered the Indian Ocean
सत्य खबर, नई दिल्ली । चीन की सैटेलाइट और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रेकिंग शिप युआन वांग 6 हिंद महासागर में बिना अनुमति के प्रवेश कर गई है. भारतीय नौसेना चीन की इस हरकत को लगातार ट्रैक कर रही है. भारतीय सेना ने बताया कि इस शिप का श्रीलंका के पास किसी भी बंदरगाह में प्रवेश करना निर्धारित नहीं है. इसके बावजूद 4 नवंबर को लोम्बोक स्ट्रेट्स के जरिए हिंदी महासागर में प्रवेश किया. जहां पर चीन का यह शिप है वह जगह पोर्ट ब्लेयर से करीब 3500 किलोमीटर दूरी पर है.Chinese spy ship entered the Indian Ocean
जबकि ट्विटर फीड के आधार पर मीडिया रिपोर्ट्स ने बताया कि शिप इस महीने एपीजे कलाम द्वीप के तट से निर्धारित बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण की निगरानी के लिए निकला था. राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार अनावश्यक रूप से चिंतित नहीं हैं क्योंकि चीन के पास उपग्रह के माध्यम से भारतीय मिसाइल प्रक्षेपण की निगरानी करने की क्षमता है. साउथ ब्लॉक के अधिकारियों के अनुसार, स्ट्रेटेजिक सपोर्ट शिप वास्तव में 12 नवंबर और महीने के अंत में होने वाली चीनी सैटेलाइट के लॉन्च की निगरानी के लिए हिंद महासागर में था.
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अगस्त में श्रीलंका में हंबनटोटा के चीनी पट्टे वाले बंदरगाह पर डॉक किए गए अपनी अन्य साथी जहाज युआन वांग 5 के उलट, युआन वांग 6 किसी भी श्रीलंकाई बंदरगाह में प्रवेश करने के लिए तैयार नहीं है. लेकिन लोम्बोक स्ट्रेट्स के दक्षिण में वह खुले समुद्री रास्ते में मौजूद है. मामला यह है कि चीनी का स्ट्रेटेजिक जहाज लगातार ही हिंद महासागर की मैपिंग कर रहा है. वह मलाक्का स्ट्रेट्स के अन्य रास्ते खोजने में लगा हुआ है. दरअसल चीनी जहाज केवल हिंद महासागर के रास्ते ही मैलाक्का रीजन पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा सुंदा, लोमबोक, ओमबाई और वेटर स्ट्रेट्स के लिए भी यही रास्ता है. इनमें से ज्यादातर इंडोनेशिया कंट्रोल करता है.Chinese spy ship entered the Indian Ocean
बीजिंग न केवल भारत से दूर अफ्रीका के पूर्वी तट पर जिबूती में चीनी बेस तक पहुंचने के लिए हिंद महासागर में समुद्री मार्गों की खोज कर रहा है. बल्कि आर्कटिक सर्कल के माध्यम से हैम्बर्ग जैसे यूरोपीय बंदरगाहों तक पहुंचने के लिए भी है, जहां चीनी कंपनी COSCO ने 24 प्रतिशत इक्विटी से अधिक में खरीदा है.
भारत ने श्रीलंका को, चीनी सैन्य जहाजों को ईंधन भरने या आराम करने और मनोरंजन के उद्देश्यों के लिए अपने बंदरगाह पर डॉक करने की अनुमति देने के जोखिमों के बारे में अवगत कराया है. इसने इन देशों को अपने टैंकरों का इस्तेमाल ऊंचे समुद्रों पर चीनी युद्धपोतों में ईंधन भरने के लिए नहीं करने के लिए भी कहा है क्योंकि इससे भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा.
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