सत्य खबर । नई दिल्ली
पति को कितनी सैलरी मिलती है, यह जानना पत्नी का अधिकार है और यह जानकारी आरटीआई के जरिए भी हासिल कर सकती है। गुरुवार को केंद्रीय सूचना आयोग ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही। मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयोग ने जानकारी न दिए जाने के आदेश को खारिज कर दिया। इसके साथ ही जोधपुर के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को 15 दिनों के भीतर महिला को पति की सैलरी के बारे में डिटेल देने को कहा।
आयोग ने कहा कि पत्नी को पति की ग्रॉस इनकम और टैक्सेबल इनकम के बारे में जानकारी रखने का पूरा अधिकार है। इसके साथ ही सूचना आयोग ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि ऐसी जानकारी थर्ड पार्टी को नहीं दी जा सकती व यह आरटीआई के दायरे में नहीं आता है। सूचना आयोग ने जोधपुर की महिला रहमत बानो की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
इससे पहले जोधपुर के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह कहते हुए डिटेल देने से इनकार कर दिया था कि तीसरे पक्ष के साथ सूचना साझा नहीं की जा सकती। ऐसा करना नियमों का उल्लंघन होगा। इससे पहले भी सूचना आयोग की ओर से यह कहा जा चुका है कि सरकारी कर्मचारियों की पत्नियों को यह जानने का अधिकार है कि उनके पति को कितनी सैलरी मिलती है।
यही नहीं वह यह भी जानने का हक रखती हैं कि पति को सैलरी के किस मद में कितनी रकम मिलती है और इस जानकारी को आरटीआई ऐक्ट के तहत सार्वजनिक भी किया जा सकता है। केंद्रीय सूचना आयोग का यह फैसला आरटीआई के निजी मामलों में इस्तेमाल किए जाने की राह भी खोलता है। आमतौर पर सरकार से किसी परियोजना या अन्य मामलों से जुड़ी जानकारियों को हासिल करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। ऐसे में केंद्रीय सूचना आयोग के इस फैसले ने एक तरह से नई राह खोली है।
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