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Delhi High Court ने BJP नेता हरिश खुराना को सुनिता केजरीवाल की याचिका पर जारी किया नोटिस, जानिए पूरा मामला

Delhi High Court ने आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनिता केजरीवाल की याचिका पर बीजेपी नेता हरिश खुराना को नोटिस जारी किया है। सुनिता केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी। यह मामला उस आरोप से जुड़ा हुआ है जिसमें सुनिता केजरीवाल पर उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद और दिल्ली के चांदनी चौक के मतदाता सूची में एक साथ नाम रजिस्टर करने का आरोप लगाया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में खुराना की बार-बार अनुपस्थिति पर भी चिंता जताई और चेतावनी दी कि अगर खुराना अगली सुनवाई में उपस्थित नहीं होते हैं तो बिना उनके मामले की सुनवाई की जाएगी।

हरिश खुराना की शिकायत पर सुनिता केजरीवाल को समन

यह विवाद बीजेपी नेता हरिश खुराना की शिकायत पर उत्पन्न हुआ था, जिसमें उन्होंने सुनिता केजरीवाल के खिलाफ आरोप लगाए थे कि उन्होंने एक ही समय में यूपी के साहिबाबाद और दिल्ली के चांदनी चौक दोनों स्थानों पर मतदाता सूची में अपना नाम रजिस्टर करवा लिया था। खुराना का दावा है कि यह चुनावी प्रक्रिया और लोकतंत्र के खिलाफ है और इसके तहत सुनिता केजरीवाल को ‘प्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट’ (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) की धारा 31 के तहत दंडित किया जाना चाहिए। इस धारा के तहत इस अपराध को साबित करने पर अधिकतम दो साल की सजा हो सकती है।

इस शिकायत के बाद, निचली अदालत ने सुनिता केजरीवाल को समन भेजा था, जिसके खिलाफ उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की। सुनिता केजरीवाल का कहना है कि जब उन्होंने अपना घर बदला, तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना दी थी और इसके बाद यह अधिकारियों का कार्य था कि वे उनकी पूर्व मतदाता सूची से उनका नाम हटा देते। उनका यह भी कहना था कि उनके ऊपर इस मामले में दोष लगाने का कोई आधार नहीं है क्योंकि सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था।

दिल्ली हाई कोर्ट की चिंताएं और खुराना की अनुपस्थिति

दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश चंद्रधारी सिंह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान खुराना की बार-बार अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि अगर खुराना अगली सुनवाई पर उपस्थित नहीं होते हैं, तो मामले की सुनवाई उनके बिना ही की जाएगी। इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि खुराना ने पिछले चार सुनवाईयों में से किसी में भी जवाब नहीं दिया और इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाला कि खुराना की इस तरह की अनुपस्थिति और चुप्पी के कारण मामले को आगे बढ़ाने की जरूरत है और इसे बिना खुराना के भी आगे बढ़ाया जा सकता है।

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न्यायालय ने यह भी कहा कि खुराना के पक्ष से जो भी जवाब आना था, वह समय से पहले आ जाना चाहिए था। अब, अदालत ने यह आदेश दिया कि खुराना के खिलाफ अगली सुनवाई से पहले एक और नोटिस जारी किया जाए ताकि वह अदालत में उपस्थित हो सकें। यदि वे फिर भी उपस्थित नहीं होते हैं, तो कोर्ट बिना उनके मामले की सुनवाई करेगा। यह आदेश सुनने के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि सुनिता केजरीवाल के लिए राहत की बात है क्योंकि कोर्ट ने पहले ही निचली अदालत के आदेश को रोक दिया था, जिसमें उन्हें समन भेजा गया था।

सुनिता केजरीवाल का पक्ष

सुनिता केजरीवाल के वकील ने अदालत में यह तर्क रखा कि जब सुनिता ने अपना निवास स्थान बदला था, तो उन्होंने अधिकारियों को इसके बारे में सूचित कर दिया था। इसके बाद, यह अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि वे उनकी पूर्व मतदाता सूची से उनका नाम हटा दें। इस मामले में सुनिता के खिलाफ कोई अपराध नहीं है और न ही किसी प्रकार की धारा का उल्लंघन हुआ है। उनके वकील ने अदालत से यह आग्रह किया कि निचली अदालत द्वारा जारी समन को निरस्त किया जाए।

सुनिता के वकील का कहना था कि यह एक सामान्य प्रक्रिया थी और इसमें किसी प्रकार की धोखाधड़ी या अपराध नहीं हुआ। जब उन्होंने अपना घर बदला, तो इसे उचित तरीके से अधिकारियों को सूचित किया और इसके बाद वह अब किसी अन्य मतदाता सूची में अपने नाम को रजिस्टर करवाने के जिम्मेदार नहीं थीं।

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आगामी सुनवाई और अगले कदम

दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर 2024 को होगी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान यह निर्णय लिया कि जब तक इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक निचली अदालत द्वारा जारी समन के खिलाफ जो अस्थायी आदेश दिया गया था, वह लागू रहेगा। इसका मतलब यह है कि सुनिता केजरीवाल को फिलहाल समन का पालन करने से राहत मिलेगी।

इस दौरान, कोर्ट ने खुराना को एक और नोटिस जारी करने का आदेश दिया है, ताकि वह अगले सुनवाई में अदालत में उपस्थित हो सकें। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर खुराना फिर से अनुपस्थित रहते हैं, तो मामले की सुनवाई उनके बिना भी जारी रहेगी। यह आदेश सुनकर, अब यह साफ हो गया है कि इस मामले में अगले कदम की दिशा अदालत के हाथों में होगी और मामले की सुनवाई में कोई भी देरी नहीं की जाएगी।

यह मामला राजनीति और कानून के बीच एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। जहां एक ओर हरिश खुराना ने सुनिता केजरीवाल के खिलाफ चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है, वहीं दूसरी ओर सुनिता केजरीवाल ने इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए इसे खारिज किया है। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद जो आदेश दिया है, वह न्यायिक प्रक्रिया की महत्वपूर्ण झलक है, जिसमें मामले को बिना पक्षपाती हुए पूरी निष्पक्षता से सुना जाएगा।

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