सत्य खबर, नई दिल्ली ।
Delhi High Court orders Central Government to give Rs 50 lakh to security guard’s wife
दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और सफदरजंग अस्पताल को अस्पताल में तैनात उस सुरक्षा गार्ड की पत्नी को 50 लाख रुपए जारी करने का निर्देश दिया है, जिसकी कोविड-19 महामारी के वक्त ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई थी. उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार इतना संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपना सकती है कि केवल ऐसे व्यक्ति को ही ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज: कोविड -19 से मुकाबला करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए बीमा योजना’ के तहत कवर किया जाए, जो कोविड-19 वार्ड या केंद्र में तैनात थे.
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि महामारी के दौरान, लोग अपनी जांच कराने के लिए अस्पतालों में भीड़ लगा रहे थे और उस समय, ये सुरक्षा गार्ड, पैरामेडिकल कर्मी ही थे, जिन्होंने न केवल अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि मरीजों को सही जगह जाने का मार्गदर्शक करने का काम भी किया.
‘कोविड-19 वायरस हवा के माध्यम से फैलता है’
उच्च न्यायालय ने कहा, “इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता है कि विभिन्न स्थानों पर तैनात सुरक्षा गार्ड कोविड-19 रोगियों के सीधे संपर्क में नहीं थे. यह सर्वविदित है कि कोविड-19 वायरस हवा के माध्यम से फैलता है और हो सकता था कि अस्पताल आने वाला कोई भी मरीज इस वायरस से संक्रमित हो, चाहे उसमें लक्षण हों या नहीं. मरीज कई सेवा प्रदाताओं के संपर्क में आए, चाहे वे सुरक्षा गार्ड हों, नर्स हों, पैरामेडिकल कर्मी हों, जो कोविड-19 वार्ड में तैनात हो भी सकते थे और नहीं भी.”
केंद्र की दलील मानने से हाईकोर्ट का इनकार
अदालत ने केंद्र की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता संगीता वाही के पति दिलीप कुमार को कोविड-19 रोगियों की देखभाल के लिए तैनात नहीं किया गया था और वह ऐसे रोगियों के सीधे संपर्क में नहीं थे, इसलिए उन्हें ऐसी योजना के अंतर्गत कवर नहीं किया जाएगा. दिलीप कुमार की जून 2020 में मृत्यु हो गई थी. उच्च न्यायालय ने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए संकीर्ण रुख को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और याचिकाकर्ता ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज: कोविड-19 से मुकाबला करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा योजना’ के लाभ की हकदार है.”
उसने कहा, “यह योजना वास्तव में उन व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को लाभ पहुंचाने के उपाय के रूप में लाई गई थी, जिन्होंने कोविड-19 महामारी से प्रभावित हजारों व्यक्तियों की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी थी। इस तरह का संकीर्ण दृष्टिकोण रखना वास्तव में उस योजना की भावना के खिलाफ है, जिसका उद्देश्य उन लोगों को तत्काल राहत प्रदान करना था जो (विषम) स्थिति से निपट रहे थे और हजारों रोगियों के जीवन की रक्षा कर रहे थे.”