सत्य खबर
बीते मंगलवार को पुलिस महानिदेश मनोज यादव ने हरियाणा के गृह सचिव को एक पत्र लिखकर उनकी सेवाएं वापस आइबी को देने की मांग की है। मनोज यादव ने एक ट्वीट करके कहा कि पिछले 28 महीनों से वह हरियाणा के नागरिकों की सेवा में डीजीपी के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। वर्तमान में अपने करियर और पारिवारिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अगला कार्यकाल आइबी में पूरा करना चाहते हैं। उन्होंने गृह मंत्रालय से आग्रह किया है कि आइबी में बतौर अतिरिक्त निदेशक उनकी सेवाएं बहाल की जाएं। डीजीपी के इस पत्र से हरियाणा की ब्यूरोक्रेसी में एक बार फिर से हलचल शुरू हो गई है।
वर्तमान में पांच आइपीएस डीजीपी बनने की दौड़ में हैं। इनमें 1988 बैच के पीके अग्रवाल, 1989 बैच के मोहम्मद अकील और आरसी मिश्रा तथा 1990 बैच के शत्रुजीत कपूर और देश राज सिंह शामिल हैं। 1991 बैच के आलोक कुमार राय और एसके जैन भी हालांकि आइपीएस में 30 वर्ष की सेवा पूरे कर चुके हैं, परंतु उन्हें अभी तक डीजीपी रैंक में प्रमोट नहीं किया गया है। 1984 बैच के एसएस देसवाल और 1986 बैच के केके सिंधु दोनों इसी साल अगस्त में रिटायर हो जाएंगे, इसलिए दोनों की डीजीपी पद पर दावेदारी कम है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा योग्य आइपीएस अधिकारियों के बनाए गए पैनल में से प्रदेश सरकार अपनी पसंद के अधिकारी को डीजीपी तैनात कर सकती है।
बता दें कि हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच राज्य के डीजीपी मनोज यादव ने अब वापस केंद्र में तैनाती चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने गृह सचिव राजीव अरोड़ा को पत्र लिखकर उनकी सेवाएं केंद्र में आईबी को सौंपने की मांग की है। आपको बता दें कि वर्ष 1988 बैच के आइपीएस मनोज यादव को वर्ष 2003 में इंटेलीजेंस ब्यूरों में संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात किया गया था। 16 साल तक आईबी के विभिन्न पदों पर तैनात होने के बाद राज्य सरकार ने फरवरी 2019 में वापस बुला लिया और दो साल के लिए हरियाणा का डीजीपी बना दिया था।
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