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BPL कार्डों में गड़बड़ी या हकीकत? हरियाणा में मई में 54 हजार नए गरीब परिवार शामिल

हरियाणा सरकार द्वारा फर्जी बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्डों की जांच और कटौती के बावजूद प्रदेश में गरीब परिवारों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि दर्ज की गई है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के अनुसार मई 2025 में प्रदेश में 54,360 नए परिवार बीपीएल श्रेणी में शामिल हुए हैं, जबकि अप्रैल में 1,609 परिवारों के बीपीएल कार्ड रद्द किए गए थे। इससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या यह बढ़ोतरी वास्तविक गरीबी की ओर संकेत करती है या फिर तकनीकी खामियों और फर्जीवाड़े का ही एक नया चेहरा है।

परिवार पहचान पत्र बना केंद्र बिंदु

हरियाणा सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में परिवार पहचान पत्र (PPP) प्रणाली लागू की है, जिसके जरिए परिवारों की आय और संरचना के आधार पर सरकारी योजनाओं में पात्रता तय होती है। जिन परिवारों की आय 1.80 लाख रुपये सालाना से कम होती है, उन्हें ऑटोमैटिक बीपीएल कार्ड मिल जाते हैं।

हालांकि, अप्रैल में झज्जर जिले में पीपीपी डेटा में छेड़छाड़ का मामला सामने आया था, जिसमें आय को जानबूझकर कम दर्शाया गया। इस मामले में क्रीड के तत्कालीन जिला प्रबंधक योगेश सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद सरकार ने विधानसभा में गलत तरीके से बने बीपीएल कार्डों को रद्द करने की बात कही थी।

सरकार की अपील और कानूनी चेतावनी

सरकार ने फर्जी कार्ड धारकों को अप्रैल के शुरू में एसएमएस भेजकर 20 अप्रैल तक स्वयं कार्ड सरेंडर करने को कहा था। साथ ही चेतावनी दी थी कि ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी और गलत लाभ की रिकवरी भी की जाएगी। इसके बावजूद, बीपीएल कार्डों की कुल संख्या घटने के बजाय और बढ़ गई।

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मार्च में राज्य में बीपीएल कार्डों की संख्या 51,97,989 थी, जो अप्रैल में मामूली बढ़कर 51,96,380 हुई। लेकिन मई में यह आंकड़ा तेजी से बढ़कर 52,50,740 तक पहुंच गया। इससे स्पष्ट है कि सरकार की कार्रवाई से वास्तविक या फर्जी कार्डधारकों पर विशेष असर नहीं पड़ा।

जिलों में फरीदाबाद सबसे आगे

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार फरीदाबाद जिले में सबसे ज्यादा 10,752 नए गरीब परिवार जुड़े हैं। वहीं, चरखी दादरी में सबसे कम 808 नए बीपीएल परिवार सामने आए। बाकी सभी जिलों में भी कम से कम 1000 नए परिवार इस श्रेणी में जोड़े गए हैं।

बीपीएल राशन कार्ड यूनिट (परिवार के सदस्यों) की संख्या भी अप्रैल में 1 करोड़ 97 लाख 20 हजार 71 से बढ़कर मई में 1 करोड़ 99 लाख 36 हजार 943 हो गई है। यह इशारा करता है कि न केवल परिवारों की संख्या बढ़ी है, बल्कि उन परिवारों के सदस्यों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

सरकारी प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल

स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. सतीश खोला के अनुसार बीपीएल सूची में नए जोड़े गए परिवारों की समीक्षा की जाएगी कि वे किस आधार पर गरीब घोषित हुए। लेकिन इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं। जब सरकार स्वयं फर्जीवाड़े की बात स्वीकार कर चुकी है, तब आंकड़ों में वृद्धि सरकार की निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े करती है।

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निष्कर्ष: असल जरूरतमंद या डेटा मैनेजमेंट की चूक?

हरियाणा में बीपीएल परिवारों की बढ़ती संख्या एक ओर जहां सरकार के लिए सामाजिक चुनौती पेश कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक तंत्र की खामियों को भी उजागर कर रही है। अब देखना होगा कि आने वाले समय में सरकार इस डेटा की सघन जांच करके असल लाभार्थियों को पहचानने में कितनी पारदर्शिता बरतती है और फर्जीवाड़े पर कितनी सख्ती से रोक लगाती है।

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